Datia news : दतिया। शहर के बीचों बीच राजगढ़ चौराहे पर बने रेंज के पास 21 वर्ष पहले हुए सामूहिक नरसंहार की घटना आज भी शहरवासियों के जहन में कौंध उठती है। 24 अप्रैल 2003 के दिन पहली बार इतनी बड़े गोलीकांड से पूरा दतिया शहर दहल उठा था। इस नरसंहार का कारण सिर्फ एक बदला था। जिसके चलते इसको अंजाम दिया गया। 21 साल पुराने इस मामले में गुरुवार 26 दिसंबर को विशेष न्यायाधीश राजेश भंडारी ने फैसला सुना दिया।
इस प्रकरण के सात आरोपितों को आजीवन कारावास एवं दो को दस-दस वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। लंबे समय तक चले इस मामले में 15 लोग नामजद थे। जिनमें से 3 की विचारण के दौरान ही मौत हो गई थी। जबकि 2 आरोपित के सुनवाई वाले दिन भी हाजिर न होने के कारण उन्हें न्यायालय ने फरार घोषित करते हुए उनके विरुद्ध वारंट जारी किया है। जबकि एक आरोपित घटना के बाद से ही फरार घोषित है।

पूरे जिले काे दहला देने वाली नरसंहार की इस घटना में चार लोगों की मौत हो गई थी। जबकि सात गंभीर रुप से घायल हो गए थे। मामले में मृतक के भाई राघवेंद्र प्रताप सिंह की ओर से उस दौरान एफआईआर दर्ज कराई गई थी। जो उस समय अपने भाई के साथ ही था। मामले की पैरवी अपर लोक अभियोजक पंकज मिश्रा द्वारा की गई।

भाई की हत्या का बदला बना नरसंहार की वजह : भाई की हत्या का बदला लेने को लेकर नरसंहार की घटना 24 अप्रैल 2003 में घटित हुई थी। जानकारी के मुताबिक घटना के मुख्य आरोपित महेश यादव के भाई सुरेश की घटना से कुछ दिन पूर्व मृतक सतेंद्र सिंह बुंदेला उर्फ भैया राजा ने अपने साथियों के साथ मिलकर तिगैलिया पर आपसी विवाद को लेकर हत्या कर दी थी। इस बात की खबर जब महेश को लगी तो वह फौज की नौकरी छोड़कर दतिया आ गया। इसके बाद उसने पूरे घटनाक्रम को अपने साथियों के साथ मिलकर अंजाम दिया था।
पेशी से लौट रहे थे मृतक तभी हुई फायरिंग : प्रकरण की घटना के मुताबिक 24 अप्रैल 2003 को दोपहर लगभग डेढ़ बजे मृतक सतेंद्र सिंह बुंदेला उर्फ भैया राजा, राधाबल्लभ दांगी, धर्मेंद्र कमरिया एवं मोजी तिवारी अपने अन्य साथियों के साथ दो जीपों में बैठकर सुरेश यादव हत्याकांड की न्यायालय से पेशी करके लौट रहे थे। इस बात की खबर आरोपित महेश यादव को थी। उसने अपने साथियों के साथ राजगढ़ चौराहे के पास पूरे सुनियोजित तरीके से हथियारों से लैस होकर हमले की तैयारी कर ली थी। जैसे ही मृतक राजगढ़ चौराहे पर पहुंचे तो आरोपितों ने रास्ता बंदकर अंधाधुंध फायरिंग शुरु कर दी। आरोपितों द्वारा रायफलों से लगभग 100-150 राउंड फायरिंग की गई। उक्त फायरिंग से कुल 11 लागों को गोलियां लगीं। फायरिंग से मृतकों की जीप रुक गई तो आरोपितों द्वारा मृतक सतेंद्र सिंह बुंदेला उर्फ भैया राजा एवं राधाबल्लभ दांगी के सिर में पास आकर कई गोलियां मारीं गई। जिससे मौके पर ही दोनों की मौत हो गई। वहीं गोली लगने से घायल मोजी तिवारी एवं धर्मेंद्र कमरिया की भी उपचार के दौरान मृत्यु हो गई। अन्य सात लोग गंभीर रुप से घायल हुए थे।
घटना में यह लोग बने आरोपित : पैरवीकर्ता अपर लोक अभियोजक पंकज मिश्रा ने बताया कि घटना को लेकर मृतक के भाई राघवेंद्र प्रताप सिंह जो कि हमले में घायल हुआ था, उसकी रिपोर्ट पर आरोपित महेश यादव, बलवीर सिंह यादव, अतरसिंह यादव, मुन्ना यादव, बरजोर सिंह यादव, मुकेश टांडोरिया (यादव), बनमाली यादव, दौलत सिंह यादव, राकेश, श्यामलाल साहू, केहरी यादव, मुकेश यादव एवं विशंभर उर्फ बलदाऊ सिंह यादव, बलवीर यादव, रघुवीर गुर्जर के विरुद्ध मामला पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया।
21 साल में इन आरोपितों की हो गई थी मौत : अनुसंधान के बाद अभियोग पत्र न्यायालय दतिया में प्रस्तुत किया गया। जिसमें लंबे समय तक चले विचारण के दौरान आरोपित बलवीर सिंह यादव, श्यामलाल साहू एवं केहरी यादव की मृत्यु हो गई थी। जबकि आरोपित मुकेश यादव एवं बलदाऊ सिंह वर्तमान में फरार हैं। जबकि एक अन्य आरोपित रघुवीर गुर्जर भी घटना के बाद से ही फरार बताया जाता है। ऐसे में शेष नौ आरोपितों में से सात लोगों को आजीवन कारावास और दो को दस-दस वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। जबकि फरार आरोपितों के विरुद्ध वारंट जारी हो चुका है।
अब जानिए आरोपितों का राजनीतिक जीवन : इस पूरे घटनाक्रम के सूत्रधार महेश यादव को लंबे समय बाद जमानत मिल गई थी। जिसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गया। इस दौरान महेश ने सरपंच का चुनाव लड़ा और वह दो बार खोड़न से सरपंच बना। वर्तमान में उसकी बहू दतिया के वार्ड क्रमांक 10 से भाजपा पार्षद भी है। मामले के फरार आरोपित बलदाऊ यादव की पत्नी संतोषी यादव वर्तमान में भांडेर जनपद की अध्यक्ष हैं। वहीं दूसरे फरार आरोपित मुकेश यादव उनके साले हैं। जो भाजपा के नेता है और पार्षद भी रह चुके हैं। इसके अलावा बलदाऊ के पिता अतरसिंह को भी मामले में सजा मिली है।