प्रधानमंत्री का महाराष्ट्र दौरा: नौसैनिक युद्धपोत राष्ट्र को करेंगे समर्पित, खारघर में इस्कॉन मंदिर का होगा उद्घाटन

मुंबई : प्रधानमंत्री 15 जनवरी को महाराष्ट्र का दौरा करेंगे, जहां वह देश की समुद्री सुरक्षा और सांस्कृतिक धरोहर को नया आयाम देंगे। सुबह 10:30 बजे प्रधानमंत्री मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में तीन प्रमुख युद्धपोत—आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरि और आईएनएस वाघशीर—को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। ये युद्धपोत रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता और बढ़ती तकनीकी दक्षता का प्रतीक हैं। इसके बाद, दोपहर 3:30 बजे, प्रधानमंत्री नवी मुंबई के खारघर में इस्कॉन की परियोजना के तहत श्री श्री राधा मदनमोहनजी मंदिर का उद्घाटन करेंगे। नौ एकड़ में फैली इस परियोजना में वैदिक शिक्षा केंद्र, संग्रहालय, सभागार और उपचार केंद्र शामिल हैं, जिसका उद्देश्य शांति और सद्भाव को बढ़ावा देना है।

तीन प्रमुख युद्धपोत राष्ट्र को समर्पित

सुबह करीब 10:30 बजे, प्रधानमंत्री मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में तीन अग्रणी नौसैनिक युद्धपोत—आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरी और आईएनएस वाघशीर—को राष्ट्र को समर्पित करेंगे।

  1. आईएनएस सूरत: यह पी15बी गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर परियोजना का चौथा और अंतिम युद्धपोत है। 75% स्वदेशी सामग्री से निर्मित, यह उन्नत हथियार और सेंसर तकनीक से लैस है।
  2. आईएनएस नीलगिरी: यह पी17ए स्टील्थ फ्रिगेट परियोजना का पहला युद्धपोत है, जिसमें उन्नत स्टील्थ तकनीक और लंबी समुद्री क्षमताएं हैं।
  3. आईएनएस वाघशीर: यह पी75 स्कॉर्पीन परियोजना की छठी और अंतिम पनडुब्बी है, जो भारत की पनडुब्बी निर्माण में बढ़ती विशेषज्ञता को दर्शाती है।

ये युद्धपोत भारत को समुद्री सुरक्षा और रक्षा निर्माण में वैश्विक अग्रणी बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे।

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खारघर में इस्कॉन मंदिर का उद्घाटन

दोपहर करीब 3:30 बजे प्रधानमंत्री नवी मुंबई के खारघर में श्री श्री राधा मदनमोहनजी मंदिर का उद्घाटन करेंगे। यह इस्कॉन की नौ एकड़ में फैली परियोजना का हिस्सा है।

इस परियोजना में:

  • मंदिर परिसर
  • वैदिक शिक्षा केंद्र
  • प्रस्तावित संग्रहालय और सभागार
  • उपचार केंद्र आदि शामिल हैं।

इस मंदिर का उद्देश्य वैदिक शिक्षाओं के माध्यम से शांति, सद्भाव और सार्वभौमिक बंधुत्व को बढ़ावा देना है।

प्रधानमंत्री का यह दौरा न केवल रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में देश की क्षमता को प्रदर्शित करेगा, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

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