भारत में इलेक्ट्रिक कार निर्माण को बढ़ावा देने की योजना : सरकार ने ईवी निवेश और आयात पर दी बड़ी रियायतें

नई दिल्ली : भारत सरकार ने देश में इलेक्ट्रिक यात्री वाहनों के निर्माण को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से “भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना” (एसपीएमईपीसीआई योजना) के विस्तृत दिशानिर्देश अधिसूचित किए हैं। यह कदम वर्ष 2070 तक नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य और ‘मेक इन इंडिया’ व ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहलों के अनुरूप है।


🏭 ईवी निवेश और विनिर्माण के लिए आकर्षक प्रोत्साहन : योजना के तहत वैश्विक ऑटोमोबाइल निर्माता कंपनियों को भारत में न्यूनतम ₹4,150 करोड़ का निवेश करना होगा। उन्हें पांच वर्षों के लिए प्रति वर्ष अधिकतम 8,000 पूरी तरह से निर्मित इलेक्ट्रिक कारों (CBU) के आयात की अनुमति मिलेगी, जिस पर केवल 15% सीमा शुल्क लगेगा।

कुल सीमा शुल्क छूट की सीमा आवेदक के कुल निवेश या ₹6,484 करोड़—जो भी कम हो—तक सीमित होगी।


🛠️ घरेलू निर्माण और मूल्य संवर्धन के स्पष्ट मानक : योजना के अनुसार, आवेदक कंपनियों को तीन वर्षों में न्यूनतम 25% और पांच वर्षों में 50% घरेलू मूल्य संवर्धन (DVA) प्राप्त करना अनिवार्य होगा। यह मूल्यांकन पीएलआई ऑटो स्कीम के तहत निर्धारित एसओपी के आधार पर किया जाएगा।

साथ ही, विनिर्माण इकाई की स्थापना के लिए नए संयंत्र, मशीनरी, R&D और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर किया गया खर्च निवेश का हिस्सा माना जाएगा।

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🔐 बैंक गारंटी और पात्रता की शर्तें : आवेदकों को योजना के तहत प्रतिबद्धताओं की पूर्ति के लिए भारत के किसी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक से बैंक गारंटी देनी होगी, जिसकी राशि निवेश या सीमा शुल्क छूट—जो भी अधिक हो—के बराबर होगी।

पात्रता के लिए न्यूनतम ₹10,000 करोड़ का वैश्विक ऑटोमोटिव राजस्व और ₹3,000 करोड़ का वैश्विक अचल परिसंपत्ति निवेश आवश्यक होगा।


📅 आवेदन प्रक्रिया जल्द होगी शुरू : योजना के लिए आवेदन आमंत्रण नोटिस शीघ्र ही भारी उद्योग मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी किया जाएगा। आवेदन करने के लिए कंपनियों को ₹5 लाख का आवेदन शुल्क देना होगा, और आवेदन अवधि कम से कम 120 दिनों की होगी।


📊 योजना का सारांश (संक्षिप्त)

घटक विवरण
न्यूनतम निवेश ₹4,150 करोड़
सीमा शुल्क रियायत 15% (5 वर्ष के लिए)
आयात सीमा 8,000 ई-कारें प्रतिवर्ष
DVA लक्ष्य 25% (3 वर्ष), 50% (5 वर्ष)
शुल्क छूट सीमा अधिकतम ₹6,484 करोड़ या निवेश—जो भी कम हो

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