भोपाल : मध्यप्रदेश में जल संरक्षण को लेकर चलाया जा रहा जल गंगा संवर्धन अभियान जन सहभागिता का एक उल्लेखनीय उदाहरण बन गया है। 30 मार्च को उज्जैन से आरंभ यह अभियान आगामी 30 जून तक चलेगा। राज्य भर में अब तक 36 लाख से अधिक नागरिकों ने इस अभियान में सक्रिय भागीदारी की है।
जल संसाधन की सुरक्षा और संवर्धन को केंद्र में रखते हुए, इस अभियान ने खंडवा जिले को देशभर में जल संरक्षण के क्षेत्र में पहला स्थान दिलाया है। वहीं केंद्रीय जल संसाधन विभाग की एक एजेंसी के आकलन में मध्यप्रदेश को राज्यों में चौथा स्थान प्राप्त हुआ है।
अभियान के अंतर्गत राज्य में रिकॉर्ड स्तर पर खेत तालाबों और अमृत सरोवरों का निर्माण हुआ है। 5 जून तक 2,139 बावड़ियों और 4,254 तालाबों की सफाई की जा चुकी है, जबकि 3,468 नदी घाटों को भी स्वच्छ किया गया है।
प्राचीन जल स्त्रोतों का पुनरुद्धार और जन जागरूकता
देवास, सीहोर और बुरहानपुर जैसे जिलों में जल संरचनाओं की सफाई और सौंदर्यीकरण का कार्य व्यापक रूप से किया जा रहा है। देवास में 450 वर्ष पुरानी हाथी बावड़ी और सीहोर के लीलाखड़ी गांव की 300 वर्ष पुरानी बावड़ी की सफाई कर स्थानीय नागरिकों और स्वयंसेवी संस्थाओं ने इन्हें फिर से उपयोगी बनाया है।
इन कार्यों के दौरान ‘बावड़ी उत्सव’ जैसे आयोजन कर जनभागीदारी को प्रोत्साहित किया गया।

इसके अलावा, जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रदेश भर में 15,913 जल संगोष्ठियाँ, 1,677 नुक्कड़ नाटक, और 12,878 दीवार लेखन कार्य भी सम्पन्न किए गए हैं। शाहपुर (बुरहानपुर) में अमरावती नदी किनारे दीवारों पर बनाए गए आकर्षक स्लोगन और चित्र नागरिकों को जल बचाने का संदेश दे रहे हैं।