आणंद, गुजरात | सहकारिता मंत्रालय की स्थापना के चार वर्ष पूरे होने पर गुजरात के आणंद में आयोजित एक कार्यक्रम में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंत्रालय की अब तक की प्रमुख उपलब्धियों और आगामी योजनाओं को साझा किया। उन्होंने कहा कि “सहकारिता हमारे समाज का संस्कार है, और इसे संस्थागत रूप देने के लिए पिछले चार वर्षों में कई महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं।”
‘5P मॉडल’ पर आधारित 60 से अधिक पहलें : अमित शाह ने बताया कि मंत्रालय ने बीते चार वर्षों में ‘5P मॉडल’ — People, PACS, Platform, Policy और Prosperity — को केंद्र में रखकर 60 से अधिक योजनाएं शुरू की हैं। ये योजनाएं छोटे किसानों, ग्रामीण उत्पादकों, महिला समूहों और कारीगरों को संगठित कर एक व्यापक सहकारी नेटवर्क तैयार करने पर केंद्रित हैं।
सहकारी समितियों की विस्तृत भूमिका : उन्होंने बताया कि वर्तमान में देश में 8.4 लाख से अधिक सहकारी समितियाँ कार्यरत हैं, जो लगभग 31 करोड़ लोगों से जुड़ी हुई हैं। इन समितियों की भूमिका अब केवल कृषि तक सीमित नहीं रही, बल्कि बैंकिंग, डेयरी, चीनी मिलों, मार्केटिंग, क्रेडिट और डिजिटल भुगतान जैसे क्षेत्रों में भी सक्रियता बढ़ी है।
नीतिगत पहलों में PACS और सहकारी विश्वविद्यालय शामिल : कार्यक्रम में यह जानकारी दी गई कि देशभर में 2 लाख नए प्राथमिक कृषि साख समितियों (PACS) की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। इसके अतिरिक्त सहकारिता क्षेत्र के लिए एक समर्पित विश्वविद्यालय और एक राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस की स्थापना भी प्रस्तावित है, जिससे प्रशिक्षण, अनुसंधान और निगरानी को सुदृढ़ किया जा सकेगा।
पारदर्शिता और तकनीक की स्वीकार्यता पर बल : अमित शाह ने कहा कि सहकारी संस्थानों की दीर्घकालिक सफलता के लिए पारदर्शिता, तकनीक की स्वीकार्यता और सदस्य के हित को प्राथमिकता देना आवश्यक है। उन्होंने कहा, “जहां पारदर्शिता नहीं होती, वहां सहकारिता की भावना कमजोर हो जाती है। तकनीक को अपनाना और सदस्य को निर्णय प्रक्रिया में लाना, आज की आवश्यकता है।”
नमक और दुग्ध सहकारी समितियों की नई पहलें : कार्यक्रम में कच्छ जिले में नमक उत्पादन से जुड़े श्रमिकों के लिए एक नई सहकारी समिति का शुभारंभ किया गया, जो भविष्य में एक मॉडल बन सकती है। इसके अतिरिक्त, ‘सरदार पटेल कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन’ के माध्यम से दूध की निष्पक्ष खरीद, मूल्यांतर की भरपाई और सर्कुलर इकोनॉमी का मॉडल लागू करने की योजना है।
डेयरी उत्पादन और प्रसंस्करण के क्षेत्र में निवेश : इस अवसर पर मोगर स्थित अमूल के चॉकलेट प्लांट और खात्रज स्थित डॉ. वर्गीस कुरियन चीज प्लांट की विस्तार परियोजनाओं का वर्चुअल उद्घाटन भी किया गया। ₹365 करोड़ की इन परियोजनाओं से चॉकलेट प्लांट की उत्पादन क्षमता 30 टन से बढ़ाकर 60 टन प्रतिदिन की गई है। इसके अतिरिक्त, UHT दूध, मोजरेला चीज, वेह ड्रिंक और स्मार्ट वेयरहाउस की नई सुविधाएं भी शुरू की गई हैं।
अधोसंरचना और अनुसंधान में भी विस्तार : कार्यक्रम में रेडी-टू-यूज़ कल्चर (RUC) संयंत्र का लोकार्पण किया गया, जिसे NDDB द्वारा ₹45 करोड़ की लागत से विकसित किया गया है। साथ ही, ₹32 करोड़ की लागत से NCDFI के नए मुख्यालय भवन और NDDB कार्यालय परिसर में एक नए भवन की आधारशिला भी रखी गई।