कांग्रेस आलाकमान के फैसले ने सबको चौंकाया : अशोक दांगी बगदा दोबारा बने अध्यक्ष, कई दिग्गज दरकिनार

Datia news : दतिया। कांग्रेस आलाकमान के फरमान ने दतिया के कई कांग्रेसी दिग्गजों को दरकिनार कर दिया। यह सभी जिलाध्यक्ष पद की ताजपोशी के लिए कतारबद्ध थे। लेकिन इस बार भी उन्हें मौका नहीं मिल सका। दतिया में जिलाध्यक्ष को लेकर की गई घोषणा ने सबको चौंका दिया।

इस घोषणा के काफी देर तक तो कांग्रेस नेता आपस में इस सूची की पुष्टि करते नजर आए। 71 नामों की सूची में सिर्फ दतिया से अशोक दांगी नाम दर्ज था।

ऐसे में भ्रम की स्थिति यह थी कि अशोक दांगी बगदा या अशोक दांगी करखड़ा में से किसे नया दायित्व सौंपा गया है। क्योंकि जिलाध्यक्ष पद की दौड़ में पूर्व जनपद अध्यक्ष अशोक दांगी करखड़ा भी शामिल थे।

एक नाम राशि के दो दावेदारों के कारण यह स्थिति पैदा हुई। जिसके बाद कई नेताओं के मोबाइल, सूची जारी होने के बाद लगातार घनघनाते रहे। खुद अशोक दांगी बगदा की ओर से भी इसे लेकर कोई हलचल नहीं थी।

आखिरकार शाम होते-होते यह स्पष्ट हो गया कि अशोक दांगी बगदा को ही दोबारा जिलाध्यक्ष पद का दायित्व सौंपा गया है। इसके बाद दांगी के घर पर भी उनके समर्थकों के पहुंचने का क्रम शुरु हुआ। जहां दांगी का स्वागत किया गया। अशोक दांगी बगदा खुद भी वरिष्ठ नेताओं से मिलने से शाम को घर से रवाना हुए।

शनिवार को अभा कांग्रेस कमेटी के जनरल सेक्रेटी केसी वेनुगोपाल ने मप्र के 71 नए जिलाध्यक्षों के नामों की सूची जारी की। दतिया में कांग्रेस हाईकमान ने एक बार फिर से भरोसा जताते हुए जिलाध्यक्ष रामकिंकर गुर्जर की जगह अशोक दांगी बगदा को जिला कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया है।

तीन वर्ष बाद उनकी इस पद पर दोबारा वापसी हुई है। बगदा वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस कमेटी में पदाधिकारी थे। वह पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के निकट माने जाते हैं। हालांकि उन्होंने इस निर्णय को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी का निर्णय बताया है।

पहले के कार्यकाल में रहे थे सक्रिय : पार्टी आलाकमान ने दांगी से संगठन को और मजबूती देने की उम्मीद जताई है। अशोक दांगी ने अपने पूर्व कार्यकाल में भी पार्टी की विभिन्न यात्राओं व सदस्यता अभियान सहित अन्य आयोजनों को व्यापक स्तर पर जिले में चलाया था। जिसके चलते उन्हें इस बार फिर से मौका मिला है।

इधर पार्टी ने जिलाध्यक्ष पद पर किसी नए चेहरे की ताजपोशी न करते हुए पुराने चेहरे को ही दायित्व सौंपा है। जिसे लेकर कांग्रेसियों में यह फैसला चर्चा का विषय बना हुआ है।

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