नई दिल्ली : भारत के कई हिस्सों में पानी की कमी लगातार एक गंभीर चुनौती के रूप में उभर रही है। केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्लूबी) द्वारा जारी डायनमिक ग्राउंड वॉटर रिसोर्सेज, 2024 की राष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार, देश के कुल 193 जिलों को पानी की गंभीर श्रेणियों में रखा गया है। इनमें से 102 जिले ‘अत्यधिक-शोषण वाले’, 22 जिले ‘क्रिटिकल’ और 69 जिले ‘सेमी-क्रिटिकल’ माने गए हैं। यह आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि जल संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन की दिशा में ठोस कदम उठाना अब समय की सबसे बड़ी जरूरत बन गया है।
राज्यों पर प्राथमिक जिम्मेदारी, केंद्र से तकनीकी व वित्तीय सहयोग : भारतीय संविधान के अनुसार पानी राज्य का विषय है और इसकी देखरेख की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होती है। हालांकि, केंद्र सरकार तकनीकी और वित्तीय सहायता के माध्यम से इन प्रयासों को सशक्त बनाने का काम करती है। इसी दिशा में हर वर्ष केंद्र और राज्य सरकारें संयुक्त रूप से भूजल रिचार्ज व निकासी का आकलन करती हैं, जिससे भविष्य की नीतियां बनाई जा सकें।
जल शक्ति अभियान: कैच द रेन – देशभर में जल संरक्षण को लेकर जल शक्ति अभियान (जेएसए) 2019 में शुरू किया गया। इसके बाद प्रधानमंत्री द्वारा 2021 में “कैच द रेन – व्हेयर इट फॉल्स, व्हेन इट फॉल्स” टैगलाइन के साथ इसे और व्यापक बनाया गया। इस अभियान को हर जिले, हर ब्लॉक और हर नगर पालिका तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया। 2023 से इस अभियान में हर साल एक विशेष फोकस थीम जोड़ी जा रही है।
● 2023 : पेयजल के लिए स्रोत स्थिरता
● 2024 : नारी शक्ति से जल शक्ति
● 2025 : जल संचय जन भागीदारी – जन जागरूकता की ओर
2025 के अभियान के तहत देशभर के 148 जिलों को विशेष रूप से फोकस जिलों के रूप में चिन्हित किया गया है।
जिलों में भेजी जा रही विशेषज्ञ टीमें : जल संकट वाले जिलों में जमीनी स्तर पर कार्ययोजना को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार ने केंद्रीय नोडल अधिकारियों और तकनीकी विशेषज्ञों की टीमें नियुक्त की हैं। ये टीमें जिलों का दौरा कर स्थानीय प्रशासन को तकनीकी सहयोग प्रदान करती हैं। साथ ही, नवाचार आधारित वित्तपोषण और सामुदायिक भागीदारी पर भी विशेष जोर दिया जा रहा है।
आगे की राह : जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने राज्यसभा में बताया कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर जल संकट से निपटने के लिए बहु-आयामी रणनीति पर काम कर रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सामुदायिक भागीदारी, वर्षा जल संचयन और भूजल रिचार्ज जैसे उपाय बड़े पैमाने पर अपनाए जाएँ, तो भारत आने वाले वर्षों में जल संकट से काफी हद तक निपट सकता है।
पानी: राज्यों की प्राथमिक जिम्मेदारी, केंद्र का सहयोग : संविधान के अनुसार, पानी एक राज्य विषय है और इसकी देखरेख की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। हालांकि, केंद्र सरकार तकनीकी और वित्तीय मदद के माध्यम से राज्यों के प्रयासों को पूरक बनाती है। भूजल रिचार्ज और निकासी का आंकलन 2022 से हर साल केंद्र और राज्यों द्वारा मिलकर किया जा रहा है, ताकि वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो सके और योजनाएं ज़मीनी स्तर पर लागू हों।
राज्यवार स्थिति – कौन से जिले सबसे ज्यादा संकटग्रस्त ? : नीचे दी गई तालिका में उन राज्यों का विवरण दिया गया है जहां जल संकट सबसे गंभीर है। इसमें ओवर-एक्सप्लॉयटेड, क्रिटिकल और सेमी-क्रिटिकल जिलों की संख्या शामिल है।
क्रमांक | राज्य/केंद्र शासित प्रदेश | अत्यधिक-शोषण वाले जिले | क्रिटिकल जिले | सेमी-क्रिटिकल जिले | कुल प्रभावित जिले |
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1 | राजस्थान | 29 | 0 | 0 | 29 |
2 | पंजाब | 19 | 1 | 0 | 20 |
3 | हरियाणा | 16 | 1 | 2 | 19 |
4 | उत्तर प्रदेश | 5 | 7 | 26 | 38 |
5 | तमिलनाडु | 9 | 3 | 10 | 22 |
6 | कर्नाटक | 5 | 4 | 5 | 14 |
7 | मध्य प्रदेश | 6 | 1 | 6 | 13 |
8 | दिल्ली | 5 | 4 | 1 | 10 |
9 | गुजरात | 4 | 0 | 2 | 6 |
10 | महाराष्ट्र | 0 | 0 | 5 | 5 |
11 | छत्तीसगढ़ | 0 | 1 | 3 | 4 |
12 | बिहार | 0 | 0 | 2 | 2 |
13 | केरल | 0 | 0 | 2 | 2 |
14 | तेलंगाना | 1 | 0 | 2 | 3 |
15 | झारखंड | 0 | 0 | 1 | 1 |
16 | पश्चिम बंगाल | 0 | 0 | 1 | 1 |
17 | दादरा नगर हवेली एवं दमन दीव | 3 | 0 | 0 | 3 |
18 | पुडुचेरी | 0 | 0 | 1 | 1 |
कुल | — | 102 | 22 | 69 | 193 |