भारत की राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के तीन वर्ष पूरे : आपूर्ति श्रृंखला इको-सिस्टम में डिजिटल बदलाव और हरित लॉजिस्टिक्स की ओर बड़ा कदम

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री द्वारा 17 सितम्बर 2022 को शुरू की गई राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (National Logistics Policy – NLP) ने आज अपने तीन वर्ष पूरे कर लिए। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) ने इस अवसर पर उपलब्धियों और आगे की योजनाओं का विवरण साझा किया।


डिजिटल एकीकरण और पारदर्शिता : एनएलपी के तहत यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफ़ॉर्म (ULIP) सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है। इस प्लेटफ़ॉर्म ने अब तक 160 करोड़ से अधिक डिजिटल लेनदेन संभव किए हैं और 101 अंतर्देशीय कंटेनर डिपो (ICD) में वास्तविक समय की दृश्यता प्रदान की है।
इसी प्रकार ई-लॉग्स पोर्टल पर 35 से अधिक लॉजिस्टिक्स और उद्योग संघ जुड़े हैं, जिनके माध्यम से दर्ज 140 में से 100 से अधिक मुद्दों का समाधान किया जा चुका है।


वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति : एनएलपी के चलते भारत ने विश्व बैंक लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक (LPI) में उल्लेखनीय सुधार करते हुए 38वां स्थान प्राप्त किया। लॉजिस्टिक्स ईज़ अक्रॉस डिफरेंट स्टेट्स (LEADS Index) राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन का आकलन करता है और अब इसमें डिजिटल लॉजिस्टिक्स व स्थिरता जैसे नए मानदंड शामिल किए गए हैं।


मल्टी-मॉडल और हरित लॉजिस्टिक्स : भारत में मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (MMLP) विकसित किए जा रहे हैं, जिनसे सड़क, रेल, जल और वायु परिवहन के बीच बेहतर तालमेल बनेगा। हरित लॉजिस्टिक्स को बढ़ावा देने के लिए आईआईएम बैंगलोर ने ट्रांसपोर्ट इमीशन मेज़रमेंट टूल (TEMT) विकसित किया है, जो ISO 14083 मानकों पर आधारित है। इसके जरिए उत्सर्जन का वैज्ञानिक आकलन संभव होगा।


कौशल विकास और मानव संसाधन : लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को मजबूत करने के लिए अब देशभर में 100 से अधिक विश्वविद्यालय और संस्थान संबंधित पाठ्यक्रम चला रहे हैं। 2023 से 2025 के बीच 65,000 से अधिक पेशेवरों को प्रशिक्षित किया गया है। इसके अलावा गतिशक्ति विश्वविद्यालय के सहयोग से स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।


क्षेत्रीय नीतियां और राज्यों की पहल : सरकार ने कोयला, सीमेंट, इस्पात, खाद्य प्रसंस्करण और फार्मास्यूटिकल्स जैसे उद्योगों के लिए सेक्टर-विशिष्ट लॉजिस्टिक्स पॉलिसी (SPEL) तैयार की है।
अब तक 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अपनी-अपनी लॉजिस्टिक्स नीतियां बना ली हैं, जबकि 19 राज्यों ने लॉजिस्टिक्स को उद्योग का दर्जा भी दे दिया है।


चुनौतियां और आगे की राह : सरकार का मानना है कि अभी भी बुनियादी ढांचे की कमी, छोटे ऑपरेटरों में डिजिटल साक्षरता और नियामक सामंजस्य जैसी चुनौतियां बनी हुई हैं।

‘पीएम गतिशक्ति’ के तहत संपूर्ण सरकार दृष्टिकोण (Whole of Government Approach) अपनाते हुए केंद्र इन चुनौतियों को सार्वजनिक-निजी भागीदारी और नवाचार आधारित वित्तपोषण से दूर करने का प्रयास कर रहा है।

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