लखनऊ : उत्तर प्रदेश के पारंपरिक शिल्प और औद्योगिक समूहों को बड़ी राहत देते हुए केंद्र सरकार ने जीएसटी दरों में कटौती की है। इस फैसले से भदोही कालीन, मुरादाबाद के पीतल के बर्तन, सहारनपुर की लकड़ी की कारीगरी, लखनऊ की चिकनकारी, वाराणसी की ज़रदोज़ी, गोरखपुर की टेराकोटा और आगरा पेठा सहित कई ओडीओपी और जीआई-टैग उत्पादों की कीमतें 6-7% तक कम हो जाएंगी। इससे न केवल घरेलू बाजार में सामर्थ्य बढ़ेगी बल्कि निर्यात प्रतिस्पर्धा भी मजबूत होगी।
हस्तशिल्प और कारीगरों को राहत : भदोही का कालीन उद्योग, जिसमें 1 लाख से अधिक करघे और 80,000 से अधिक परिवारों की आजीविका जुड़ी है, अब 12% की बजाय 5% जीएसटी दर पर उत्पाद बेच सकेगा। इससे कालीन और गलीचे सस्ते होंगे और कारीगरों पर कार्यशील पूंजी का दबाव कम होगा। इसी तरह मुरादाबाद का पीतल उद्योग, जो हजारों कारीगरों को रोज़गार देता है, त्योहारी सीजन में तेज़ी पकड़ने की उम्मीद रखता है।
चमड़ा, फुटवियर और कपड़ा उद्योग को बढ़ावा : कानपुर-आगरा चमड़ा और फुटवियर क्लस्टर, जिनमें 15 लाख से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं, भी जीएसटी दरों में कटौती से लाभान्वित होंगे। इससे एमएसएमई की प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ेगी और निर्यात को नई दिशा मिलेगी। वहीं, लखनऊ चिकनकारी और वाराणसी ज़रदोज़ी जैसे पारंपरिक परिधान अब सस्ते होंगे, जिससे कारीगरों को घरेलू और विदेशी बाजारों में मजबूती मिलेगी।
कांच, टेराकोटा और सिरेमिक को प्रोत्साहन : फ़िरोज़ाबाद के कांच उद्योग और खुर्जा के सिरेमिक उत्पाद अब 6-7% सस्ते होंगे। यह बदलाव लगभग 1.5 लाख कारीगरों को राहत देगा और घरेलू मांग के साथ-साथ खाड़ी देशों और यूरोप को निर्यात बढ़ाने में मदद करेगा। गोरखपुर टेराकोटा और आज़मगढ़ ब्लैक पॉटरी जैसे जीआई-टैग उत्पाद भी अब अधिक प्रतिस्पर्धी होंगे।
उद्योग और रोज़गार पर प्रभाव : मथुरा, चुनार और अलीगढ़ में फैले सीमेंट उद्योग की जीएसटी दर 28% से घटाकर 18% कर दी गई है, जिससे घरों और बुनियादी ढांचे की निर्माण लागत कम होगी। मेरठ और मोदीनगर का खेल सामग्री उद्योग भी लाभान्वित होगा, जिससे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाज़ारों में मांग बढ़ेगी।