रायपुर : जीएसटी दरों में हालिया कटौती ने छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा दी है। हथकरघा, हस्तशिल्प, डेयरी और सीमेंट जैसे प्रमुख क्षेत्रों में 5 से 18 प्रतिशत तक कर में कमी से राज्य में रोजगार, उत्पादन और ग्रामीण आय में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है। यह पहल राज्य के पारंपरिक और औद्योगिक दोनों ही क्षेत्रों को लाभ पहुंचा रही है, जिससे समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है।
सीमेंट उद्योग में लागत घटी, रोजगार बढ़े : छत्तीसगढ़ का सीमेंट उद्योग — रायपुर, बिलासपुर, कोरबा और रायगढ़ जैसे जिलों में केंद्रित — राज्य के औद्योगिक ढांचे की रीढ़ है। जीएसटी को 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत करने से निर्माण लागत में गिरावट आई है, जिससे आवास परियोजनाओं की मांग बढ़ी है और 20,000 से 30,000 रोजगारों को प्रोत्साहन मिला है। क्षेत्र में तकनीकी विशेषज्ञों के साथ बड़ी संख्या में ग्रामीण और प्रवासी श्रमिक कार्यरत हैं, जो अब स्थिर रोजगार और बेहतर वेतन अवसर पा रहे हैं।
हथकरघा और पावरलूम क्षेत्र को कर राहत से मिली नई जान : राज्य के जांजगीर-चांपा, रायगढ़, महासमुंद और बस्तर जैसे जिले लंबे समय से हथकरघा और पावरलूम परंपरा के केंद्र रहे हैं। जीएसटी दर को 12%/18% से घटाकर 5% किए जाने से करीब 1.5 लाख बुनकरों को सीधा लाभ हुआ है। कोसा और टसर रेशम जैसे उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ी है, जिससे निर्यात में वृद्धि और महिला बुनकरों के लिए आत्मनिर्भरता के अवसर बढ़े हैं। नीति समर्थन और कर राहत ने एमएसएमई इकाइयों को भी सशक्त बनाया है, जो अब कम लागत पर उत्पादन और रोजगार बढ़ा रही हैं।
हस्तशिल्प और जनजातीय कला को नई पहचान : बस्तर, कोंडागांव और जगदलपुर क्षेत्रों में सक्रिय ढोकरा धातु कला, बेल मेटल, लकड़ी की नक्काशी और टेराकोटा शिल्प पर भी जीएसटी सुधारों का सकारात्मक असर हुआ है। 5 प्रतिशत कर दर से मांग में 10-15 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे 2026 तक लगभग 5,000 नए रोजगार सृजित होंगे। पीएम विश्वकर्मा योजना और राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम के माध्यम से हजारों कारीगरों को प्रशिक्षण, ऋण और बाजार संपर्क प्राप्त हुआ है, जिससे पारंपरिक कौशल को संरक्षण मिला है और महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) की आय में बढ़ोतरी हुई है।
डेयरी उद्योग: ग्रामीण महिलाओं के लिए नई आर्थिक संभावनाएं : रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग क्षेत्रों में संचालित 1,000 से अधिक डेयरी सहकारी समितियों में से बड़ी संख्या महिला-केंद्रित है। पैकेज्ड डेयरी उत्पादों पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% किए जाने से दूध, दही और पनीर जैसे उत्पादों की खपत बढ़ी है। इससे 15,000 से 20,000 रोजगारों को सहायता मिली है, जबकि राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की साझेदारी में 2028 तक प्रसंस्करण क्षमता 6 गुना बढ़ाने की योजना है। यह कदम महिला नेतृत्व वाले ग्रामीण उद्यमों को सशक्त कर रहा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को टिकाऊ बना रहा है।
समावेशी विकास की दिशा में बड़ा कदम : जीएसटी सुधारों ने छत्तीसगढ़ में औद्योगिक और पारंपरिक दोनों ही क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया है। इन उपायों से जहां कारीगरों की आजीविका सशक्त हुई है, वहीं औद्योगिक उत्पादन, निर्यात और औपचारिक रोजगार को भी नई दिशा मिली है। छत्तीसगढ़ अब तेजी से एक ऐसे राज्य के रूप में उभर रहा है, जहां विकास और परंपरा दोनों साथ-साथ आगे बढ़ रहे हैं — यह भारत के “वोकल फॉर लोकल” और “समावेशी विकास” विजन का सशक्त उदाहरण है।


