गहरे समुद्र में बढ़ेगी भारत की मत्स्य क्षमता — अमित शाह ने मुंबई में ‘गहन सागरीय मत्स्य नौकाओं’ का किया लोकार्पण, सहकारिता मॉडल से मछुआरों को मिलेगा सीधा लाभ

मुंबई :  केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को मुंबई स्थित मझगांव डॉक में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत विकसित ‘गहन सागरीय मत्स्य नौकाओं’ (Deep Sea Fishing Vessels) का लोकार्पण किया। इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजीत पवार सहित केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल उपस्थित रहे।


मत्स्य क्षेत्र में सहकारिता आधारित विकास का नया अध्याय : अमित शाह ने कहा कि यह पहल भारत के मत्स्य उद्योग को आधुनिक बनाने और तटीय इलाकों में सहकारिता आधारित विकास को गति देने की दिशा में बड़ा कदम है। उन्होंने बताया कि इन नई गहन सागरीय नौकाओं से मछली पकड़ने की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और इससे होने वाला मुनाफा कॉपरेटिव मॉडल के तहत सीधे मछुआरों तक पहुँचेगा। शाह ने कहा कि पहले मछुआरे वेतन पर काम करते थे, लेकिन अब सहकारी मॉडल में वे खुद मुनाफे के साझेदार होंगे। फिलहाल 14 ट्रॉलर प्रदान किए जा रहे हैं, जिन्हें आने वाले वर्षों में और बढ़ाने की योजना है।


25 दिन तक समुद्र में रह सकेंगी नौकाएं : इन नौकाओं में 25 दिन तक समुद्र में रहकर कार्य करने की क्षमता है और प्रत्येक ट्रॉलर 20 टन तक मछलियां ढो सकता है। जहाजों पर आवास, भोजन और भंडारण की आधुनिक सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। साथ ही, बीच समुद्र में मौजूद बड़े जहाज इन ट्रॉलरों के साथ समन्वय करेंगे और पकड़ी गई मछलियों को तट तक पहुँचाएंगे।


गरीब मछुआरों के आर्थिक सशक्तिकरण पर फोकस : अमित शाह ने कहा कि करीब 11 हजार किलोमीटर लंबे समुद्री तट से आजीविका चलाने वाले मछुआरों के जीवन में सहकारिता बड़ा परिवर्तन लाएगी। उन्होंने कहा कि सहकारिता का उद्देश्य मेहनतकश व्यक्ति को उत्पादन और मुनाफे का वास्तविक मालिक बनाना है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे डेयरी और चीनी मिलों ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाया, वैसे ही अब सहकारी मत्स्य समितियाँ मछुआरों की आर्थिक स्थिति को सशक्त करेंगी।


मत्स्य उत्पादन में दोगुनी वृद्धि : शाह ने बताया कि 2014-15 में भारत का कुल मत्स्य उत्पादन 102 लाख टन था, जो अब बढ़कर 195 लाख टन हो चुका है। मीठे पानी के मत्स्य पालन में 119% वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि समुद्री उत्पादन 35 लाख टन से बढ़कर 48 लाख टन पहुंचा है।


ब्लू इकोनॉमी और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम : सहकारिता मंत्रालय देश की ब्लू इकोनॉमी को सशक्त करने और समुद्री संसाधनों के दोहन के लिए नए कॉपरेटिव मॉडल विकसित कर रहा है। आने वाले वर्षों में सरकार मत्स्य प्रोसेसिंग यूनिट, चिलिंग सेंटर और एक्सपोर्ट हब को भी सहकारी ढांचे से जोड़ेगी। अमित शाह ने कहा कि “देश तभी वास्तविक अर्थों में समृद्ध होगा जब हर मछुआरे का घर आर्थिक रूप से सशक्त होगा और मुनाफा मेहनतकश के हाथों में पहुँचेगा।”

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