अंतरराष्ट्रीय आर्यन सम्मेलन 2025 : महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती और आर्य समाज की 150 वर्षों की सेवा पर होगा वैश्विक मंथन

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आगामी 31 अक्टूबर को दोपहर 2:45 बजे रोहिणी, नई दिल्ली में आयोजित “अंतरराष्ट्रीय आर्यन सम्मेलन 2025” में शामिल होंगे। यह सम्मेलन महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती और आर्य समाज के 150 वर्षों की समाज सेवा के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे ज्ञान ज्योति महोत्सव का प्रमुख आयोजन है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री सम्मेलन में उपस्थित प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों को संबोधित करेंगे।


आर्य समाज की 150 वर्ष की यात्रा : सेवा, शिक्षा और सुधार का प्रतीक : अंतरराष्ट्रीय आर्यन सम्मेलन 2025 में भारत सहित विश्व के विभिन्न देशों से आर्य समाज की इकाइयों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। यह सम्मेलन समाज सुधार, शिक्षा प्रसार और वैदिक ज्ञान पर आधारित जीवन मूल्यों को प्रोत्साहित करने के आर्य समाज के वैश्विक योगदान को रेखांकित करेगा।
कार्यक्रम के दौरान “सेवा के 150 स्वर्णिम वर्ष” शीर्षक से एक विशेष प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी, जिसमें आर्य समाज की स्थापना से लेकर आज तक के सामाजिक और शैक्षिक कार्यों की झलक प्रस्तुत की जाएगी। इस प्रदर्शनी में महिला शिक्षा, अस्पृश्यता उन्मूलन, गौ-संरक्षण, और वेद प्रचार के क्षेत्र में संगठन के योगदान को विस्तार से दर्शाया जाएगा।


सम्मेलन का उद्देश्य : वैदिक सिद्धांतों के माध्यम से विकसित भारत की दिशा : सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य महर्षि दयानंद सरस्वती की विचारधारा को वैश्विक स्तर पर पुनर्स्थापित करना और आधुनिक भारत के विकास में वैदिक सिद्धांतों की भूमिका पर विमर्श करना है। आर्य समाज का यह आयोजन “विकसित भारत 2047” की अवधारणा के अनुरूप स्वदेशी मूल्यों, आत्मनिर्भरता और सामाजिक समानता की दिशा में नई प्रेरणा देने का प्रयास करेगा। इसके साथ ही, सम्मेलन में विद्वान, शिक्षाविद, और सामाजिक कार्यकर्ता महर्षि दयानंद के “कृण्वन्तो विश्वमार्यम्” के संदेश को वर्तमान समय की सामाजिक आवश्यकताओं के संदर्भ में पुनर्परिभाषित करेंगे।


अंतरराष्ट्रीय सहभागिता और भावी योजनाएं : कार्यक्रम में अमेरिका, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, मॉरीशस, और यूनाइटेड किंगडम सहित कई देशों के आर्य समाज प्रतिनिधि शामिल होंगे। यह सहभागिता आर्य समाज की विचारधारा के वैश्विक प्रभाव और एकीकृत समाज निर्माण में उसकी भूमिका को रेखांकित करेगी। सम्मेलन के समापन सत्र में संगठन द्वारा आगामी वर्षों के लिए शिक्षा सुधार, वैदिक अध्ययन केंद्रों के विस्तार, और पर्यावरण संरक्षण पर केंद्रित नई योजनाओं की घोषणा भी की जाएगी।

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