भोपाल। प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए केंद्रीय शहरी कार्य मंत्रालय ने मध्यप्रदेश के 8 नगर निगमों में 972 इलेक्ट्रिक बसों (PM e-Bus Service) के संचालन को मंजूरी दी है। यह पहल न केवल सार्वजनिक परिवहन को आधुनिक और स्वच्छ बनाएगी, बल्कि डीजल ईंधन पर निर्भरता को भी कम करेगी।
मंत्रालय की इस मंजूरी के बाद संबंधित नगरीय निकायों में बस डिपो और चार्जिंग स्टेशन से जुड़े अवसंरचना कार्य तेजी से शुरू कर दिए गए हैं। राज्य सरकार ने निर्देश दिए हैं कि इन बसों का संचालन शीघ्र आरंभ हो, ताकि शहरी क्षेत्रों में लोगों को प्रदूषण-मुक्त और किफायती परिवहन सुविधा उपलब्ध कराई जा सके।
सरकारी योजना के अनुसार, बस डिपो अधोसंरचना निर्माण में केंद्र सरकार 60 प्रतिशत और राज्य सरकार 40 प्रतिशत राशि का योगदान करेगी। वहीं, चार्जिंग पाइंट अवसंरचना के निर्माण में केंद्र सरकार 100 प्रतिशत वित्तीय सहयोग प्रदान कर रही है। यह व्यवस्था ई-बस परियोजना को गति देने और स्वच्छ ऊर्जा आधारित परिवहन तंत्र विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
मंजूर की गई बसों में भोपाल में 195, इंदौर में 270, ग्वालियर में 100, जबलपुर में 200, उज्जैन में 100, सागर में 32, देवास में 55 और सतना में 20 इलेक्ट्रिक बसें शामिल हैं। इन सभी नगर निगमों में बस सेवाओं के संचालन हेतु चार्जिंग स्टेशनों, पार्किंग क्षेत्र और मेंटेनेंस सुविधाओं के विकास कार्य जारी हैं।
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने सभी नगर निगमों को निर्देश दिए हैं कि वे समयसीमा के भीतर बस डिपो और चार्जिंग स्टेशन से संबंधित सभी कार्य पूरे करें, ताकि जनता को जल्द ही इन नई बसों की सुविधा मिल सके।
यह कदम प्रदेश के शहरी परिवहन तंत्र को पर्यावरण के अनुकूल, आधुनिक और टिकाऊ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। इलेक्ट्रिक बसों के संचालन से जहां शहरी वायु गुणवत्ता में सुधार होगा, वहीं पेट्रोलियम उत्पादों पर निर्भरता घटने से आर्थिक लाभ भी होगा।


