Datia news : दतिया। प्रसिद्ध पीतांबरा पीठ पर चल रहे मुख्य द्वारों के निर्माणाधीन पिलर बुधवार रात तेज धमाके के साथ ढह गए। जिस दौरान यह हादसा हुआ उस समय पीठ पर श्रद्धालुओं की खासी भीड़ थी। जिसने भी यह आवाज सुनी वह दहशत में आ गया।
कुछ लोग विस्फोट होने की आशंका से घिर गए। लेकिन तभी पता चला कि पीठ के सिंहद्वार की ओर चल रहे निर्माणाधीन द्वार के आठ पिलर एक के बाद एक करके जमींदाेज होने से यह धमाका हुआ है।
गनीमत यह रही कि उस दौरान निर्माण कार्य बंद हो चुका था, नहीं तो बड़ा हादसा हो जाता। निर्माणाधीन मुख्य द्वार का एक हिस्सा अचानक तेज धमाके जैसी आवाज के साथ भरभराकर ढहा तो मंदिर में मौजूद दर्शनार्थी भी दहल गए।
सभी जब निर्माण स्थल की ओर पहुंचे तो वहां गेट के लिए तैयार किए जा रहे 12 पिलरों में से आठ पिलर पूरी तरह ढहकर जमींदोज नजर आए। पीतांबरा पीठ पर यह निर्माण कार्य लगभग आठ माह से चल रहा है। मुख्य द्वार के लिए इन पिलरों को तैयार किया जा रहा था।
हादसे के समय आसपास कोई मजदूर मौजूद नहीं था, वरना बड़ा जानमाल का नुकसान हो सकता था। घटना के बाद पूरा क्षेत्र धूल से भर गया।
हादसे के बाद निर्माण कार्य की गुणवत्ता और निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। पिलरों के इस तरह गिर जाने से तकनीकी खामियों, डिजाइन त्रुटियों और निर्माण सामग्री की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल किए जाने लगे हैं। फिलहाल निर्माण से जुड़े अधिकारी और ठेकेदार स्थल पर पहुंच गए। उन्होंने स्थिति का निरीक्षण किया।
पीठ पर पूजा आरती की चल रही थी तैयारी : पीठ पर मौजूद श्रद्धालुओं ने बताया कि जब धमाके की आवाज आई उस समय पीठ पर श्रृंगार आरती की तैयारी चल रही थी।
जिसके चलते मंदिर प्रांगण में श्रद्धालुओं का जमावड़ा था। प्रांगण से कुछ दूरी पर ही यह निर्माण कार्य चल रहा है। जिसे पीठ प्रबंधन ने सुरक्षा की दृष्टि से चारों तरफ से कवर करा रखा है। ताकि वहां की ओर कोई श्रद्धालु आवागमन न करे। इस सुरक्षा के चलते कोई बड़ा हादसा होने से टल गया।
श्रद्धालु बोले माई की कृपा से टला हादसा : कुछ श्रद्धालुओं का कहना था कि माई के दरबार में सब कुछ सही होता है। इसलिए यह हादसा भी टल गया और जनहानि नहीं हुई।
इस दौरान मौजूद लोगों का कहना था कि वर्ष 2020-21 में कोरोना काल के समय भी जब एक ट्रैक्टर की टक्कर से पीठ के सामने बनी लाल पत्थर की बारदरी ढही थी, तब भी लोकडाउन होने के कारण कोई मौजूद नहीं था। वरना उस समय भी बड़ी जनहानि हो जाती।
लेकिन तब भी माई ने सबकी रक्षा की। इस हादसे में भी बड़ी जनहानि टल गई। जब पिलर गिरे तब रोजमर्रा का काम कर मजदूर भी जा चुके थे। पूरा निर्माणाधीन स्थल खाली पड़ा था।
आठ माह से चल रहा सौंदर्यीकरण कार्य : पीतांबरा पीठ व्यवस्थापक महेश दुबे के मुताबिक पीठ के मुख्य द्वारों के निर्माण का कार्य पिछले आठ माह से चल रहा है।
जिसे रुपम कंस्ट्रेक्शन कंपनी करा रही है। यह हादसा संभवता तकनीकी खामी के कारण हुआ है। जो पिलर गिरे हैं, वह बीच के हिस्से के हैं। जिसे देखकर लगतार है कि दोनों ओर के पत्थरों का भार अधिक होने के कारण यह पिलर एक साथ ढह गए।
निर्माण कार्य में क्या कमी रही, इसे लेकर पीठ प्रबंधन ने जांच कराने की बात कही है। ताकि पूरी मजबूती और गुणवत्ता से यह कार्य आगे हो सके।
बता दें कि करीब दस करोड़ की लागत से पीठ पर आने जाने के लिए मुख्य द्वारों सहित वहां प्रांगण में कुछ मूर्तियां व नक्काशीदार द्वारों को बनाने की योजना है। इसे लेकर यह कार्य किया जा रहा है।


