Datia news : दतिया। भांडेर में कब्रिस्तान की जमीन को लेकर वर्षों से चल रहा विवाद बुधवार को उस समय फिर गंभीर हो उठा, जब एक मुस्लिम परिवार अपने स्वजन के अंतिम संस्कार के लिए करीब पांच घंटे तक जगह-जगह भटकता रहा।
बस स्टैंड वाली मस्जिद से सटे कब्रिस्तान में दफनाने की तैयारी जैसे ही शुरू की गई, दूसरे पक्ष ने आपत्ति जताकर कब्र की खुदाई रुकवा दी। माहौल तनावपूर्ण हो गया।
लेकिन प्रशासनिक हस्तक्षेप और दोनों पक्षों को समझाइश देने के बाद स्थिति को शांत किया गया और अंततः शव को दूसरे कब्रिस्तान में दफना दिया गया।
मंगलवार को दिल्ली में रहने वाले 60 वर्षीय इसरार खां का निधन हो गया था। बुधवार तड़के उनका शव भांडेर स्थित घर पहुंचा। परिवार परंपरा के अनुसार उन्हें बस स्टैंड वाली मस्जिद से लगे कब्रिस्तान में दफनाना चाहता था। जिसका संबंध परदेशी समाज से बताया जाता है।
सुबह कब्र खोदी जा रही थी कि तभी दूसरे पक्ष के नीटू बीटू शर्मा अपने साथियों के साथ मौके पर पहुंचे और खुदाई रुकवा दी। उनका कहना था कि यह जमीन विवादित है और फिलहाल किसी भी प्रकार की दफन प्रक्रिया यहां नहीं की जा सकती।
कुछ ही देर में दोनों पक्षों के लोग इकट्ठा हो गए और हालात तनावपूर्ण हो गए। मामला गंभीर होता देख तहसीलदार सुनील भदौरिया पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे।
उन्होंने दोनों पक्षों को स्पष्ट बताया कि यह विवाद वर्तमान में हाईकोर्ट ग्वालियर में विचाराधीन है, जहां से पहले ही प्रशासन को सीमांकन और दस्तावेजों की स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए जा चुके हैं।
इसलिए जब तक न्यायालय का अंतिम निर्णय नहीं आता, यहां कोई दफन या निर्माण कार्य नहीं हो सकता। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने पर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।
इसके बाद मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधि एसडीएम सोनाली राजपूत के कार्यालय पहुंचे। यहां प्रशासन ने पूरी स्थिति समझाते हुए कहा कि दस्तावेज, सीमांकन और मालिकाना हक की जांच की प्रक्रिया 10 दिसंबर तक पूर्ण की जाएगी।
तब तक किसी भी प्रकार की गतिविधि विवादित जमीन पर नहीं की जा सकेगी। प्रशासन की इस समझाइश के बाद समुदाय इस बात पर सहमत हुआ कि मृतक इसरार खां को फिलहाल अन्य कब्रिस्तान में दफनाया जाए।
समाज के सहयोग से इसरार खां को ईदगाह के पास स्थित कब्रिस्तान में शांतिपूर्वक दफना दिया गया। घटना के बाद स्थानीय लोगों में यह चर्चा तेज है कि कब्रिस्तान की जमीन को लेकर लंबे समय से चल रहा विवाद प्रशासन के स्तर पर शीघ्र स्पष्ट किया जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की स्थिति दोबारा उत्पन्न न हो।


