भारतीय रेल में सुरक्षा के नए मानक : वार्षिक दुर्घटनाएं 171 से घटकर 2025-26 में सिर्फ 11, सुरक्षा बजट तीन गुना !

नई दिल्ली : भारतीय रेल ने सुरक्षा के मोर्चे पर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की है। वर्ष 2004-14 के मुकाबले 2025-26 में रेल दुर्घटनाओं की संख्या रिकॉर्ड स्तर तक कम हो गई है। जहां पहले वार्षिक औसत 171 दुर्घटनाएं दर्ज होती थीं, वहीं वर्ष 2025-26 (नवंबर 2025 तक) में यह संख्या घटकर केवल 11 रह गई है।

सरकार द्वारा रेल सुरक्षा से संबंधित बुनियादी ढांचे, तकनीकी प्रणालियों और निगरानी तंत्र को मजबूत करने के परिणाम अब आंकड़ों में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं।


सुरक्षा बजट लगभग तीन गुना बढ़ा : भारतीय रेल का सुरक्षा बजट वर्ष 2013-14 के 39,463 करोड़ रुपये से बढ़कर चालू वित्त वर्ष 2025-26 में 1,16,470 करोड़ रुपये हो गया है। यह लगभग तीन गुना वृद्धि सुरक्षा-मजबूती के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।


कोहरे में ट्रेन संचालन अब ज्यादा सुरक्षित : रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, कम दृश्यता की स्थिति में उपयोग होने वाले कोहरा सुरक्षा उपकरण (Fog Safety Device) की संख्या 2014 के 90 से बढ़कर 2025 में 25,939 हो गई है — यह वृद्धि 288 गुना है।

इसके साथ ही, ट्रैक और सिग्नल की पहचान को आसान बनाने लिए रेट्रो-रिफ्लेक्टिव सिग्मा बोर्ड और जीपीएस बेस्ड अलर्ट सिस्टम भी बड़े पैमाने पर लगाए जा चुके हैं।


इंटरलॉकिंग और ट्रैक-सर्किटिंग का तेजी से विस्तार

पिछले चार महीनों में ही 21-21 स्टेशनों पर केंद्रीकृत इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग और ट्रैक-सर्किटिंग का काम पूरा हुआ है।

देशभर में कुल :-

  • 6,656 स्टेशनों पर इंटरलॉकिंग सिस्टम

  • 6,661 स्टेशनों पर पूर्ण ट्रैक सर्किटिंग

  • 10,098 लेवल क्रॉसिंग गेटों पर इंटरलॉकिंग

स्थापित की जा चुकी है। यह मानव-जनित त्रुटियों को कम करने की दिशा में बड़ा कदम है।


परिणामी दुर्घटनाएं तेज़ी से घटीं

  • 2014-15 में परिणामी दुर्घटनाएं: 135

  • 2024-25 में: 31

  • 2025-26 (नवंबर तक): 11

2004-14 की तुलना में यह गिरावट एक ऐतिहासिक सफलता मानी जा रही है।


कवच तकनीक से ट्रेन संचालन हुआ और सुरक्षित

भारतीय रेलवे की अत्याधुनिक स्वदेशी सुरक्षा प्रणाली ‘कवच’ को गति मिल रही है।

कवच 4.0 संस्करण अब:

  • दिल्ली–मुंबई मार्ग पर पलवल–मथुरा–कोटा–नागदा (633 km)

  • हावड़ा–बर्दवान (105 km)

पर सफलतापूर्वक लागू किया जा चुका है।

देश के प्रमुख रेल रूटों पर 15,512 किमी में कवच का कार्य चल रहा है।


ट्रैक और कोच आधुनिक बनाने पर तेज़ काम

भारतीय रेल ने पिछले एक दशक में रेल सामग्रियों और संरचनाओं में व्यापक सुधार किए हैं:

तकनीकी सुधार

  • 60 किलोग्राम उच्च गुणवत्ता वाले रेल: 2 गुना वृद्धि

  • 260 मीटर लंबे रेल पैनल: 8 गुना वृद्धि

  • इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग: 4 गुना वृद्धि

  • थिक वेब स्विच: 28,301 इकाइयां (पहले शून्य)

रखरखाव में बड़े सुधार

  • अल्ट्रासोनिक दोष पहचान परीक्षण: 2 करोड़ परीक्षण

  • वेल्ड विफलताएं: 90% कमी

  • रेल टूटफूट: 88% कमी

बुनियादी ढांचा

  • नया ट्रैक किलोमीटर: दोगुने से अधिक

  • फ्लाईओवर/अंडरपास: 3 गुना वृद्धि

  • मानवरहित लेवल क्रॉसिंग: सभी हटाई गईं

  • एलएचबी कोच निर्माण: 18 गुना वृद्धि

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