नई दिल्ली | महाराष्ट्र में रेलवे अवसंरचना को सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। राज्य में 89,780 करोड़ रुपये की लागत से 5,098 किलोमीटर लंबी नई लाइनों, गेज परिवर्तन और दोहरीकरण से जुड़ी कुल 38 परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है। इनमें 11 नई लाइनें, 2 गेज परिवर्तन और 25 दोहरीकरण परियोजनाएं शामिल हैं।
सर्वेक्षण कार्यों में भी तेजी : रेल विकास को गति देने के लिए वर्ष 2022-23 से 2025-26 के दौरान महाराष्ट्र में 8,603 किलोमीटर लंबाई के 98 सर्वेक्षणों को मंजूरी दी गई है। इनमें नई लाइन, गेज परिवर्तन और दोहरीकरण से जुड़े प्रस्ताव शामिल हैं, जिससे भविष्य की परियोजनाओं का मार्ग प्रशस्त होगा।
बजट आबंटन में 20 गुना से अधिक की वृद्धि : पिछले पांच वर्षों में महाराष्ट्र के लिए रेलवे बजट में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। जहां 2009-14 के दौरान औसतन 1,171 करोड़ रुपये प्रति वर्ष का आबंटन था, वहीं 2025-26 में यह बढ़कर 23,778 करोड़ रुपये हो गया है, जो 20 गुना से अधिक है।
नई पटरियों के निर्माण में रिकॉर्ड प्रगति : 2009-14 के दौरान राज्य में कुल 292 किलोमीटर नई पटरियां शुरू की गई थीं, जबकि 2014-25 के बीच यह आंकड़ा बढ़कर 2,292 किलोमीटर हो गया। इससे प्रति वर्ष नई पटरियों के निर्माण की औसत गति में तीन गुना से अधिक वृद्धि दर्ज की गई है।
मुंबई उपनगरीय क्षेत्र की क्षमता बढ़ाने पर जोर : मुंबई उपनगरीय क्षेत्र में प्रतिदिन लगभग 3,200 लोकल और 120 मेल/एक्सप्रेस ट्रेनें संचालित हो रही हैं। बढ़ती भीड़ को देखते हुए प्लेटफार्म विस्तार, अतिरिक्त पिट लाइन, स्टेबलिंग लाइन और नए उपनगरीय गलियारों के निर्माण पर कार्य किया जा रहा है।
एमयूटीपी परियोजनाओं से बदलेगा मुंबई का रेल नेटवर्क : मुंबई शहरी परिवहन परियोजना (MUTP) के तहत एमयूटीपी-II, एमयूटीपी-III और एमयूटीपी-IIIए को स्वीकृति दी गई है, जिनकी कुल लागत 52,000 करोड़ रुपये से अधिक है। इन परियोजनाओं में बोरीवली-विरार, विरार-दहानू रोड, पनवेल-कर्जत और कल्याण क्षेत्र में नई और अतिरिक्त लाइनें शामिल हैं।
238 नए आधुनिक लोकल रेक होंगे शामिल : यात्री परिवहन क्षमता बढ़ाने के लिए एमयूटीपी-III और IIIए के तहत 19,293 करोड़ रुपये की लागत से दरवाजों सहित 12 डिब्बों वाले 238 नए लोकल रेक स्वीकृत किए गए हैं। इन रेकों की खरीद प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
पूर्ण और प्रगतिशील परियोजनाओं से बढ़ेगी कनेक्टिविटी : पुणे-मिराज-लोंडा, मनमाड-जलगांव, पनवेल-पेन और उधना-जलगांव जैसी कई प्रमुख परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जबकि इंदौर-मनमाड, वर्धा-भुसावल, अहिल्यानगर-बीड-परली वैजनाथ और वर्धा-नांदेड़ जैसी परियोजनाओं पर कार्य प्रगति पर है।
हाई-स्पीड और फ्रेट कॉरिडोर परियोजनाओं में भी तेजी : महाराष्ट्र में हाई-स्पीड बुलेट ट्रेन परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण पूरा हो चुका है और निर्माण कार्य तेज़ी से जारी है। इसके अलावा पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFCC) का महत्वपूर्ण हिस्सा भी राज्य से होकर गुजरता है, जिससे बंदरगाह से दिल्ली एनसीआर तक माल परिवहन की क्षमता बढ़ेगी।
समग्र विकास की ओर रेलवे का फोकस : रेलवे परियोजनाओं की मंजूरी यातायात मांग, कनेक्टिविटी, सामाजिक-आर्थिक प्रभाव और परिचालन आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर दी जाती है। महाराष्ट्र में चल रही ये परियोजनाएं राज्य की आर्थिक गतिविधियों, यात्री सुविधा और औद्योगिक विकास को नई गति देने वाली साबित होंगी।


