अजब-गजब । हमारे देश में कई धार्मिक स्थान ऐसे हैं जहां आज भी शाम ढलते ही रुकने की मनाही है। इन स्थानों की अपनी एक परंपरा है। जिसकाे लगभग सभी लोग मानते भी हैं। धार्मिक स्थलों पर मनमर्जी करने पर दुष्परिणाम भुगतने की भी चेतावनी वहां के लोगों द्वारा पहले ही दी जाती है ताकि परंपरा तोड़ने का दुष्साहस करने वाले लोगों को परिणाम के बारे में जानकारी मिल सके। यह सभी परंपरा हमको आश्चर्य के साथ कई रहस्यों में भी उलझाकर रख देती हैं। ऐसे ही एक खास जगह के बारे में रोचक जानकारी आज हम आपको देने वाले हैं। भारत में कई ऐसी जगहें हैं, जहां रात को रूकना मना है। उन जगहों से जुड़ी कुछ मान्यताएं लोगों में खौफ पैदा करती हैं। इन जगहों को लोग रहस्यमय मानते हैं और रात में उन जगहों पर रूकने से डरते हैं अथवा उन जगहों पर रात में रुकने की मनाही होती है। ऐसी हैं एक जगह भारत के राजस्थान में है। यह है बारमेड़ स्थित किराड़ू मंदिर। यहां लोगों के रात में रूकने की मनाही है।
किराडू मंदिर अपनी बुरी कहानियों के लिए प्रसिद्ध तो है, लेकिन इस मंदिर की कलाकृतियां सदियों पुरानी हैं। यह भगवान शिव का मंदिर है, 11वीं शताब्दी के शिलालेख इस मंदिर में आज भी मौजूद हैं। इसे लघु खजुराहो भी कहा जाता है। किराड़ू मंदिर अपने अंदर एक रहस्य समेटे हुआ है, इसके लिए विश्वभर में इसकी एक अलग ही पहचान है। इस मंदिर के बारे में प्रचलित है कि रात में जो भी इसमें ठहरता है वह पत्थर का बन जाता है। स्थानीय निवासियों का मानना है कि इस मंदिर को एक ऋषी ने श्राप दिया था जिसके कारण माना जाता है कि जो भी रात में इस मंदिर में ठहरता हैं वो पत्थर का बन जाता है।
लोक मान्यताएं हैं कि सदियों पहले एक ऋषी अपने शिष्यों के साथ किराडू मंदिर आए थे। साधु कुछ दिनों की तपस्या के लिए मंदिर छोड़कर गांव वालों के भरोसे अपने शिष्यों को छोड़कर गए थे। साधु को लगा कि जिस तरह से गांव वाले उनकी देखभाल करते हैं उसी तरह उनके शिष्यों का भी ख्याल रखा जाएगा। साधु की अनुपस्थिति में शिष्यों का स्वास्थ्य खराब हो गया। लेकिन कोई भी गांव वाला उनकी सहायता करने नहीं आया। ऋषी जब अपनी तपस्या करके वापस लौटे तो उन्होंने अपने शिष्यों के स्वास्थ्य की जानकारी ली। साधु को उनके शिष्यों ने बताया कि लोगों ने उनकी कोई सहायता नहीं कि जिस पर क्रोधित होकर साधु ने कहा कि यहां के लोग पत्थर दिल के हैं, वह इंसान बने रहने के योग्य नहीं हैं। इसलिए उन्होंने सबको पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया। जिसके बाद गांव के सभी लोग पत्थर के बन गए।
पूरे गांव में केवल एक ही महिला थी, जिन्होंने साधु के शिष्यों की मदद की थी। इसलिए साधु ने इस महिला को गांव छोड़कर कहीं चले जाने को कहा था। साथ ही साधु ने उस महिला को कहा था कि वो गांव छोड़कर जाते समय पीछे मुडकर ना देेखे। लेकिन कहा जाता है कि उस महिला के मन में संदेह हुआ कि तपस्वी की बात सच भी है या नहीं। इसीलिए उसने पीछे मुड़कर देखा जिसके कारण वह भी पत्थर की बन गई। किराडू मंदिर से कुछ दूरी पर बसे सिहणी गांव में आज भी उस महिला की पत्थर की मूर्ति को देखा जा सकता है। जिसके कारण इस मंदिर की कहानी को सही माना जाता है।