Datia News : दतिया। दतिया से 7 किमी दूर िस्थत ग्राम केवलारी में इस बार भी श्वान भोज का आयोजन किया गया। यह अनोखा आयोजन इस गांव में करीब 7 वर्ष से चल रहा है। जिसमें गांव के सभी आवारा कुत्तों को बकायदा पत्तल डालकर खीर, पूडी और बूंदी ससम्मान परोसकर खिलाई जाती है।
इस काम में गांव के युवा भी पूरी मेहनत करते हैं। गांव के हर गली मोहल्ले में पहुंचकर कुत्तों को अावाज लाकर यह भोज कराया जाता है। कुत्तों की दावत से यह गांव हमेशा चर्चा में बना रहता है। इस वफादार जानवर की सुध लेने का काम गांव के ही रामजीलाल ने किया।
वह हर वर्ष कुत्तों का भंडारा आयोजित करते हैं। महंगाई के इस दौर में जहां लोग किसी के आमंत्रण से पहले सोचते हैं वहीं रामजी पूरी आत्मीयता से कुत्तों को पत्तल में भोजन परोसकर खिलाते हैं।
कुत्तों की इस दावत पर हर साल रामजी करीब 25 हजार रुपये की राशि खर्च करते हैं। इस बार भी दतिया जिले के ग्राम केवलारी में यह अनोखा अयोजन किया गया। अभी तक आपने भंडारों और अन्य समारोहों में इंसानों को ही पत्तल पर भोजन करते हुए देखा होगा।
लेकिन ग्राम केवलारी में इसी तर्ज पर कुत्तों के भंडारे का आयोजन होता है। आयोजक पत्तल लगवाकर गांव भर के कुत्तों को शुद्ध घी की पूड़ी, खीर और बूंदी परोसकर खिलाते हैं।
इस तरह शुरू हुई यह अनूठी परंपरा
कुत्तों के भंडारे के आयोजन की कहानी भी बिल्कुल अनूठी है। कुछ वर्ष पूर्व केवलारी में भागवत कथा का आयोजन किया गया था। भागवत कथा के समापन पर गांव में भंडारे का आयोजन हुआ। जिसमें रामजी ने कुत्तों को जूठी पत्तलें चाटते और लोगों को कुत्तों को दुत्कारते भगाते हुए देखा।
जो उन्हें अच्छा नहीं लगा। वह इस घटना से इतना द्रवित हुए कि उन्होंने कुत्तों के लिए ही भंडारा आयोजित करने की मन में ठान ली। इसके बाद उन्होंने आयोजन के लिए गांव के अन्य युवाओं को भी साथ लिया।
रामजी ने इस बारे में अन्य ग्रामीणों को बताया तो उन्होंने भी आयोजन करने पर सहमति देते हुए प्रसन्नता जाहिर की। यह सिलसिला ऐसा शुरू हुआ कि लगातार 7 वर्ष से रामजीलाल अपने साथियों के साथ इस भंडारे को कराते हैं।