भोपाल | मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों की फसलों को वन्यजीवों से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए एक अनोखी और तकनीकी पहल की है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर दक्षिण अफ्रीका की कंजरवेशन सॉल्यूशन टीम और वन विभाग के सहयोग से हेलीकॉप्टर और बोमा तकनीक के माध्यम से कृष्ण मृग (ब्लैकबक) और नीलगायों को पकड़ने का अभियान शुरू किया गया है। यह अभियान विशेष रूप से पश्चिम मध्यप्रदेश के राजस्व क्षेत्रों में चलाया जा रहा है, जहां इन वन्यजीवों द्वारा फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया जा रहा था।
शाजापुर जिले में सक्रिय अभियान : शुक्रवार को शाजापुर जिले की तहसील लाहौरी बड़ला गाँव में बोमा लगाकर बड़े पैमाने पर अभियान चलाया गया। इस दौरान लाहौरी, सिंगारचोरी, पिपलिया इंदौर, नया समाजखेड़ा, खोरिया, विकलाखेड़ी, मुल्लाखेड़ी, पिपलिया गोपाल, छजियाजीपुर, सनकोटा और बोपा का डेरा जैसे गांवों से 59 नीलगायों को सुरक्षित रूप से पकड़कर राष्ट्रीय उद्यान के जंगलों में छोड़ा गया। अब तक के अभियान में कुल 501 कृष्ण मृग और 59 नीलगायों को पकड़ा जा चुका है।
इन वन्यजीवों को संरक्षित क्षेत्रों और राष्ट्रीय उद्यानों में स्थानांतरित किया गया है। यह कदम किसानों की फसलों को बार-बार होने वाले नुकसान से बचाने और मानवीय ढंग से वन्यजीव प्रबंधन करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
देश में पहली बार ऐसा अभियान : यह अभियान अपने आप में देश का पहला वन्यजीव स्थानांतरण प्रयास है, जिसमें हेलीकॉप्टर और बोमा तकनीक दोनों का संयोजन किया गया है। इसमें शाजापुर विधायक अरुण भीमावद, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव अभिरक्षक शुभरंजन सेन, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक और क्षेत्र संचालक (चीता प्रोजेक्ट) उत्तम शर्मा, तथा मुख्य वन संरक्षक (उज्जैन) एम.आर. बघेल उपस्थित रहे और अभियान की निगरानी की।
वन विभाग की तैयार टीम और ग्रामीण सहयोग : वन विभाग ने इस अभियान के लिए मैदानी अमले का एक विशेष प्रशिक्षित दल तैयार किया है। यह दल दक्षिण अफ्रीका की विशेषज्ञ टीम के साथ मिलकर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा है ताकि आगे चलकर यह स्वायत्त रूप से ऐसे अभियान चला सके। अभियान में जिला प्रशासन, पुलिस और ग्रामीण समुदायों का सक्रिय सहयोग मिल रहा है।
वन विभाग ने ग्रामीणों से अपील की है कि अभियान के दौरान हेलीकॉप्टर द्वारा हांके जाने पर वे वन्यजीवों के पीछे न भागें, ताकि उन्हें सुरक्षित रूप से पकड़ा जा सके। यह अभियान नवंबर के पहले सप्ताह तक जारी रहेगा, और उम्मीद की जा रही है कि इससे किसानों को फसलों की सुरक्षा के साथ-साथ वन्यजीव संरक्षण के नए मानक भी स्थापित होंगे।


