नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राजधानी में रक्षा लेखा विभाग (DAD) के नियंत्रक सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारत की रक्षा नीति, आर्थिक निवेश और रणनीतिक योजना पर अनेक अहम पहलुओं को रेखांकित किया। उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता और स्वदेशी उपकरणों के प्रदर्शन को वैश्विक मान्यता का प्रतीक बताया।
स्वदेशी रक्षा उत्पादों की बढ़ती मांग : रक्षा मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने वैश्विक मंच पर भारत के रक्षा क्षेत्र की छवि को और सुदृढ़ किया है। उन्होंने कहा कि “ऑपरेशन के दौरान प्रदर्शित बहादुरी और देशी तकनीक की दक्षता ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारे रक्षा उत्पादों की मांग को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।”
DAD की भूमिका ‘नियंत्रक’ से ‘सुविधाकर्ता’ की ओर : सिंह ने निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी के संदर्भ में DAD की भूमिका को अब ‘नियंत्रक’ से ‘फैसिलिटेटर’ यानी ‘सुविधाकर्ता’ में बदलने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि वित्तीय प्रक्रियाओं की सटीकता और गति, रक्षा बलों की ऑपरेशनल तत्परता में सीधा असर डालती है।
शांति का समय अस्थायी, हमेशा सतर्क रहने की जरूरत : अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने कहा, “शांति का समय केवल एक भ्रम है। भले ही समय शांत हो, हमें अनिश्चित परिस्थितियों के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। अचानक घटित घटनाएं हमारी पूरी परिचालन और वित्तीय संरचना को बदल सकती हैं।”
रक्षा व्यय को आर्थिक निवेश के रूप में देखने की वकालत : सिंह ने रक्षा खर्च को केवल ‘व्यय’ नहीं बल्कि ‘गुणक प्रभाव वाले आर्थिक निवेश’ के रूप में देखने की बात कही। उन्होंने कहा कि आज रक्षा बजट, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का उत्प्रेरक बन चुका है और भारत अब पुनः शस्त्रीकरण की नई अवस्था में प्रवेश कर रहा है।
निर्णय प्रक्रिया में तेजी और इंजन निर्माण भारत में ही : रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि बड़े सैन्य इंजनों का निर्माण अब भारत में ही शुरू हो। इसके लिए निर्णय प्रक्रिया में तेजी लाई जा रही है ताकि स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा मिल सके और वैश्विक रक्षा बाजार में भारत की भागीदारी मजबूत हो।
रक्षा नवाचार और स्टार्टअप को समर्थन : उन्होंने हाल ही में शुरू की गई ₹1 लाख करोड़ की अनुसंधान, विकास और नवाचार (RDI) योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार स्टार्टअप, MSME और निजी क्षेत्र की परियोजनाओं के सुचारू वित्तपोषण और कार्यान्वयन में सक्रिय भूमिका निभाएगी।
‘स्पर्श’ प्रणाली और पारदर्शी पेंशन वितरण : ‘स्पर्श’ प्रणाली की चर्चा करते हुए रक्षा मंत्री ने बताया कि यह अब तक 32 लाख से अधिक पेंशनरों को जोड़ चुकी है, जो पारदर्शिता और फेसलेस सेवाओं का प्रमाण है। उन्होंने इसे सैनिकों के प्रति सम्मान और दायित्व की पहचान बताया।
डिजिटलीकरण और बजट अनुशासन पर ज़ोर : सम्मेलन में केंद्रीकृत डेटाबेस, वेतन प्रबंधन प्रणाली और फेसलेस भुगतान जैसे डिजिटलीकरण प्रयासों की भी चर्चा हुई। सिंह ने वित्तीय अनुशासन की सराहना करते हुए कहा कि पूंजीगत बजट का समय पर उपयोग सुनिश्चित करना सेना की तत्परता और विश्वास का आधार है।
दक्षता, पारदर्शिता और आत्मनिर्भरता की दिशा में अगला कदम : रक्षा मंत्री ने विभाग से आग्रह किया कि निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए प्रक्रियाएं अधिक पारदर्शी और समयबद्ध होनी चाहिए। उन्होंने चेताया कि छोटी त्रुटियां भी सैनिकों तक जरूरी संसाधन पहुंचाने में बाधा बन सकती हैं।
‘सतर्क, चुस्त, अनुकूल’ – नई कार्यसंस्कृति का आदर्श : सम्मेलन में रक्षा लेखा विभाग के नए आदर्श वाक्य ‘सतर्क, चुस्त, अनुकूल’ की सराहना की गई। मंत्री ने कहा कि यह केवल नारा नहीं, बल्कि तेजी से बदलते रक्षा परिदृश्य के लिए एक व्यवहारिक कार्यसंस्कृति है।
महत्वपूर्ण विमोचन और वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति : इस अवसर पर विजन दस्तावेज़, मिशन स्टेटमेंट, मार्केट इंटेलिजेंस रिपोर्ट 2025 का दूसरा संस्करण और संशोधित रक्षा लेखा कोड का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, तीनों सेनाओं के प्रमुख, रक्षा सचिव, डीआरडीओ अध्यक्ष, और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।