New Delhi : नईदिल्ली । देश की आवश्यकता को पूरा करने के लिए खाद्यान्न का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है। केंद्र सरकार के मुताबिक 1 अक्टूबर तक केंद्रीय पूल में लगभग 227 लाख मीट्रिक टन गेहूं और 205 लाख मीट्रिक टन चावल उपलब्ध है। जो बफर स्टॉक के मानकों से कहीं अधिक है। केंद्रीय पूल में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और भारत सरकार की अन्य योजनाओं के साथ-साथ प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की अतिरिक्त आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त स्टॉक मौजूद है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम व अन्य कल्याणकारी योजनाओं के अलावा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के सातवें चरण के तहत स्टॉक की आवश्यकता को पूरा करने के बाद भी 1 अप्रैल 2023 को केंद्रीय पूल में पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध रहेगा। जो बफर मानकों से अधिक और ऊपर है।
ऐसा अनुमान लगाया गया है कि 1 अप्रैलए 2023 तक सभी आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद केंद्रीय पूल में लगभग 113 लाख मीट्रिक टन गेहूं और 237 लाख मीट्रिक टन चावल उपलब्ध होगा। जबकि इस दौरान बफर आवश्यकता 75 लाख मीट्रिक टन गेहूं और 136 लाख मीट्रिक टन चावल की होगी।
वर्तमान खरीफ विपणन सत्र 2022-23 के लिए धान की खरीद शुरू हो चुकी है। 16 अक्टूबर तक लगभग 58 लाख मीट्रिक टन धान चावल के मामले में 39 लाख मीट्रिक टन की खरीद हुई है। जो कि खरीफ विपणन सत्र 2021-22 में इसी अवधि के दौरान हुई खरीद की तुलना में अधिक है। इस वर्ष देश में मानसून की स्थिति काफी अच्छी रही है और धान का उत्पादन सामान्य रहने की उम्मीद है। इस वर्ष लगभग 900 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद होने की उम्मीद है।
गेहूं की खरीद अप्रैल 2023 से शुरू होगी। देश में हुई अच्छी बारिश की स्थिति के कारण अगले रबी सत्र में गेहूं का उत्पादन और खरीद सामान्य रहने की आशा है।
भारत सरकार ने पोषक अनाज कहे जाने वाले मोटे अनाज के उच्च पोषण गुणों को ध्यान में रखते हुए खरीफ विपणन सत्र 2022-23 के दौरान 13.72 लाख मीट्रिक टन की खरीद करने की योजना बनाई है। जबकि केंद्रीय पूल के तहत खरीफ विपणन सत्र 2021-22 के दौरान 6.30 लाख मीट्रिक टन की खरीद हुई थी।
कोविड 19 के कारण उत्पन्न हुए आर्थिक व्यवधान के कारण गरीबों को होने वाली कठिनाई को दूर करने के लिए भारत सरकार ने उनके लिए कई पहल की हैं और मौजूदा पीडीएस तथा अन्य कल्याणकारी योजनाओं के अलावा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत देश के लगभग 80 करोड़ लोगों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया है।
3.91 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित वित्तीय परिव्यय के साथ पीएमजीकेएवाई के तहत कुल 1121 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न आवंटित किया गया है। निर्यात के नियमन के साथ खाद्यान्नों की इतनी बड़ी उपलब्धता ने यह सुनिश्चित किया है कि इन वस्तुओं के अंतरराष्ट्रीय मूल्यों की तुलना में घरेलू कीमत काफी हद तक स्थिर बनी हुई है।