नई दिल्ली. वित्त मंत्री ने कहा कि किसानों को अपनी उपज कहीं भी और किसी भी व्यापारी को बेचने की स्वतंत्रता मिलने के बावजूद न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली जारी रखी जाएगी। वित्त मंत्री ने कहा कि ठेके पर खेती कराने से जमीन के मालिकाना हक को लेकर आशंकाएं पूरी तरह निराधार हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि कृषि उपज के दामों में उतार-चढ़ाव से किसानों की रक्षा की जाएगी।
निर्मला सीतारामन ने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों ने इन कानूनों के कुछ प्रावधानों को अपने चुनावी घोषणा पत्रों में शामिल किया था, हालांकि अब वे राजनीतिक कारणों से इनका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली में 22-23 कृषि उत्पाद शामिल थे, मगर समर्थन मूल्यों की नियमित घोषणा गेहूं और धान जैसे उत्पादों को लेकर ही की जाती थी, जिससे किसान तिलहनों और दलहनों की जगह धान और गेहूं बोना अधिक पसंद करने लगे थे। उन्होंने कहा कि इससे देश को बड़े पैमाने पर तिलहनों का आयात करना पड़ रहा था।
वित्त मंत्री ने कहा कि कृषि संबंधी नये कानूनों के बनने के बाद इस स्थिति में बदलाव आएगा। अब किसान प्रसंस्करण के लिए काफी मात्रा में कृषि उत्पादों का भंडारण कर सकते हैं, ताकि वे निर्बाध रूप से अपनी उपज का मूल्य संवर्धन कर सकें। उन्होंने कहा कि इससे जल्द खराब हो जाने वाली उपज की बर्बादी रूकेगी और किसानों तथा राष्ट्र को बड़े पैमाने पर धन की बचत होगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि ठेके पर खेती कराने में अगर खरीदार और किसान के बीच कोई विवाद पैदा होता है, तो इसे विवाद समाधान प्रणाली के जरिए सुलझाया जा सकता है। यह प्रणाली जिला कलेक्टर के अंतर्गत कार्य करेगी।
वित्तमंत्री ने कल शाम चेन्नई में किसानों के एक समूह से भी वार्ता की। उन्होंने बताया कि कृषि क्षेत्र पर लाये गये ये तीन नये कानून किसानों के हित में हैं। वित्तमंत्री ने कहा कि ये कानून संसद ने पारित किये हैं और जो लोग इनका विरोध कर रहे हैं, वे लोकतांत्रिक व्यवस्था का अपमान कर रहे हैं।