20 साल के बाद अमेरिका ने छोड़ा अफगानिस्तान, 30 अगस्त को आखिरी विमान ने भरी उड़ान

काबुल : आतंकवाद के खिलाफ दो दशकों की लंबी लड़ाई के बाद अमेरिका अफगानिस्तान से निकल गया है. अफगानिस्तान से निकलने के निर्धारित समय से एक दिन पहले ही सोमवार की देर रात अमेरिकी विमानों ने काबुल एयरपोर्ट से अंतिम उड़ान भरी। अमेरिकी विमानों के उड़ान भरते ही तालिबान आतंकियों ने हवा में गोलियां चलाकर खुशियां मनाई।

हालांकि, तालिबान के सामने अब अफगानिस्तान को पटरी पर लाने की मुश्किल चुनौती होगी। अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी ऐसे समय में हुई है जब गनी सरकार को अपदस्थ कर तालिबान ने सत्ता पर कब्जा जमा लिया है।

काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अफरातफरी के बीच दो हफ्ते तक चले निकासी अभियान के दौरान एक लाख से ज्यादा लोगों को अफगानिस्तान से सुरक्षित निकाला गया, फिर भी सौ से ज्यादा अमेरिकी और अमेरिका एवं नाटो देशों का साथ देने वाले हजारों अफगान पीछे छूट गए हैं।

तालिबान के शासन में पश्चिमी देशों के सहयोगी अफगानों की जान का सबसे ज्यादा खतरा है, हालांकि तालिबान ने सभी को माफी देने का एलान किया है। अफगानिस्तान से हर हाल में अमेरिकी सैनिकों की मंगलवार तक निकासी के अपने फैसले पर अड़े रहने का बचाव करते हुए राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि अब हमारा 20 साल का मिशन खत्म हो गया है।

उन्होंने भारी खतरे के बीच निकासी अभियान चलाने के लिए अमेरिकी सैनिकों का आभार जताया और कहा कि दुनिया तालिबान को उन लोगों को सुरक्षित मार्ग देने की प्रतिबद्धता पर कायम रखेगी जो अफगानिस्तान से निकलना चाहते हैं।

अफगानिस्तान से जल्दबाजी में सैनिकों को निकालने के फैसले के लिए बाइडन को अमेरिका में आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। 2001 में पहली बार गिराए थे बम अलकायदा के आतंकवादियों ने नौ सितंबर 2001 को अमेरिका में विमानों को अगवा कर हमला किया था।

दो विमानों को न्यूयार्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (डब्ल्यूटीसी) की जुड़वा इमारतों से टकराया था, पेंटागन की इमारत पर भी एक विमान गिराने की कोशिश की गई थी। अलकायदा का सरगना ओसामा बिन लादेन को समय तालिबान ने अफगानिस्तान में पनाह दी थी।

इससे हमले का बदला लेने के लिए अमेरिका ने अफगानिस्तान पर सात अक्टूबर, 2001 को पहली बार हवाई हमला किया था। उसी साल नवंबर-दिसंबर में एक हजार से ज्यादा अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान पहुंचे थे।

ढाई हजार से ज्यादा अमेरिकी सैनिक मारे गए दो दशक तक चली लड़ाई में अमेरिका के 2,500 सैनिक मारे गए हैं। इस दौरान 2,40,000 अफगानों की भी जान गई। अमेरिका को इस लड़ाई में दो लाख करोड़ डालर (लगभग 150 लाख करोड़ रुपये) की चपत भी लगी। 

गोलियों की तड़तड़ाहट के साथ तालिबान ने मनाया जश्न अमेरिकी सेना के आखिरी विमानों के उड़ान भरते ही तालिबान ने गोलियों की तड़तड़ाहट के साथ अपनी जीत का जश्न मनाया।

आधी रात अमेरिका के सी-17 विमान के रवाना होते ही तालिबान आतंकी हवाई अड्डे पर प्रवेश कर गए और उसको पूरी तरह नियंत्रण में ले लिया। हवाईअड्डे के अंदर तालिबान नेताओं ने पगड़ी पहनकर मार्च निकाला। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि यह क्षण और यह दिन हमारे लिए ऐतिहासिक है।

हमें अपनी पूरी आजादी हासिल करने पर गर्व है। हम पूरी दुनिया से अच्छे संबंध रखना चाहते हैं। तालिबान के सामने बड़ी चुनौती हथियार के बल पर सत्ता पर काबिज होने वाले तालिबान के लिए सरकार चलाना आसान नहीं होगा। बदहाल अर्थव्यस्था को पटरी पर लाना उसके लिए बड़ी चुनौती है। तालिबान भी यह अच्छी तरह समझते हैं।

इसलिए उसके शीर्ष नेता हेकमतुल्ला वासिक ने सभी लोगों से काम पर लौटने की अपील की। उसने कहा, ‘लोगों को धैर्य रखना चाहिए।

हम सब कुछ वापस पटरी पर लाएंगे। इसमें कुछ वक्त जरूर लगेगा।’ हालांकि, अभी लोगों को तालिबान पर यकीन नहीं हो रहा और देखना चाहते हैं कि आने वाली सरकार का रुख क्या होता है। 

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