नई दिल्ली : केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे तथा केरल के वन और वन्यजीव मंत्री श्री ए.के. शशिंद्रन और कई अन्य गणमान्य लोगों की उपस्थिति में आज केरल के पेरियार में विश्व हाथी दिवस – 2022 मनाया गया। केंद्रीय मंत्री ने “भारत के हाथी अभयारण्य: एक एटलस”, “भारत के हाथी अभयारण्य: भूमि उपयोग भूमि आच्छादन वर्गीकरण”, “हाथियों की देखभाल: कैद में स्वास्थ्य और कल्याण का प्रबंधन” और “ट्रम्पेट” का विशेष संस्करण जारी किया।
हाथी परियोजना के 30 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में, सभी गणमान्य व्यक्तियों द्वारा भारत में हाथी संरक्षण पर एक पोस्टर जारी किया गया। माननीय मंत्री द्वारा की गई पहल में पहली बार गज गौरव पुरस्कार स्थानीय समुदायों, फ्रंटलाइन स्टाफ और जमीनी स्तर पर काम कर रहे महावतों के सराहनीय प्रयासों के लिए जंगली और कैद में हाथियों के संरक्षण के लिए प्रदान किया गया था। इस वर्ष तमिलनाडु के अनामलाई से संबंधित मालासर समुदाय और केरल तथा असम के महावतों को केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री द्वारा गज गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
“हाथी के साथ रहना” विषय पर आयोजित कई प्रतियोगिताओं के लिए स्कूली छात्रों को पुरस्कार भी दिए गए। इस अवसर पर अपने संबोधन में, केंद्रीय मंत्री ने दोहराते हुए कहा कि हाथियों के साथ हमारा जुड़ाव प्राचीन, मूल्यवान और पूजनीय है। उन्होंने कहा कि हाथी हमारे वन्यजीवों और जैव विविधता के निर्वाह के लिए भी महत्वपूर्ण हैं और भारत इस विशालकाय जीव के संरक्षण को उच्च प्राथमिकता देता है।
यादव ने यह भी कहा कि “एक कट्टर पर्यावरणविद् और प्रकृति प्रेमी माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमारी वन्यजीव संरक्षण रणनीति के दो पहलुओं को केंद्र में रखा है। सबसे पहले, विकास के साथ-साथ कोई भी समझौता किए बिना ही, वन्यजीव संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई जारी रह सकती है। दूसरा, हमारे वन्यजीवों और जैव विविधता के संरक्षण के प्रयास समुदाय द्वारा संचालित होने चाहिए और राज्य से आवश्यक सभी सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।
भूपेंद्र यादव ने उपस्थित लोगों को बताया कि भारत में एशियाई हाथियों की सबसे बड़ी और सबसे स्थिर आबादी है। वास्तव में, 60 प्रतिशत से अधिक जंगली एशियाई हाथी भारत में हैं। 2017 में आयोजित अंतिम हाथियों की गणना में दर्ज 29,964 हाथियों की आबादी भारतीय संस्कृति में निहित वन्यजीव संरक्षण के जुनून के परिमाण को दर्शाती है। श्री यादव ने कहा, “हाथियों और उनके आवासों की सुरक्षा के लिए हमारे पास कुछ बेहतरीन कानून हैं। हमारे पास सबसे अद्भुत लोग हैं, जो हाथियों से प्यार करते हैं और उनकी पूजा करते हैं।”
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में 31 हाथी अभयारण्य हैं। पिछले 3 वर्षों में, कर्नाटक राज्य द्वारा दांदेली हाथी अभयारण्य, नगालैंड द्वारा सिंगफन हाथी अभयारण्य और छत्तीसगढ़ में लेमरू हाथी अभयारण्य को अधिसूचित किया गया है। इसने भारत में हाथी अभयारण्य के तहत कुल क्षेत्रफल को देश के 14 राज्यों में लगभग 76,508 वर्ग किमी में ला दिया है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत तमिलनाडु में एक और हाथी अभयारण्य – अगस्त्यमलाई की स्थापना करने जा रहा है, जिसमें भारत में हाथियों के संरक्षण और रक्षण के लिए समर्पित एक और 1197 वर्ग किमी संरक्षित क्षेत्र शामिल है।
मानव-पशु संघर्ष के बारे में चर्चा करते हुए, यादव ने कहा, “भारत सरकार का मानना है कि भारत में हाथियों के संरक्षण के केंद्र में लोगों का कल्याण छिपा है। संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा के साथ, मानव-हाथी संघर्ष बढ़ रहा है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रति वर्ष औसतन 500 लोग हाथियों द्वारा मारे जाते हैं तथा लोगों द्वारा प्रतिशोध में लगभग 100 हाथी मारे जाते हैं। मानव-हाथी संघर्ष का प्रबंधन भारत सरकार का एक प्रमुख फोकस है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने हाथियों से पीड़ित परिवारों तक पहुंच कर अनुग्रह राशि को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया है।
दीर्घकालिक समाधान खोजने के लिए, हम देश के हाथी गलियारों पर फिर से विचार कर रहे हैं और इस प्रयास में प्रमुख हितधारकों को शामिल करते हुए 50 प्रतिशत से अधिक कार्य पूरा कर लिया है।
यादव ने इस अवसर पर यह जानकारी दी कि उच्चतम न्यायालय द्वारा पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्र के फैसले के संबंध में, मंत्रालय विशेष रूप से फैसले के अनुभाग 44ए और 44ई पर फिर से विचार करने के लिए एक समीक्षा याचिका दायर कर रहा है, क्योंकि इस मुद्दे पर अधिक स्पष्टता की आवश्यकता है। उन्होंने जंगली सूअर के मुद्दे के बारे में बताया कि मंत्रालय ने फरवरी 2021 में पहले ही मानव-वन्यजीव संघर्ष के लिए एक दिशानिर्देश जारी किया था और इस संकट को कम करने के लिए वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 11 के तहत केरल के मुख्य वन्यजीव वार्डन को शक्तियां दी गई हैं।
पश्चिमी घाट के मुद्दे पर कस्तूरीरंगन और गाडगिल समिति की रिपोर्ट पर समग्र दृष्टिकोण अपनाने और लोगों द्वारा दिए गए आवेदनों पर विचार करने के लिए एक समिति नियुक्त की गई थी।
केंद्रीय मंत्री यादव ने यह भी बताया कि हाल ही में लोकसभा द्वारा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम में संशोधन किया गया है। इसके एक प्रावधान में यह उल्लेख किया गया है कि भारत सरकार और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के कुछ दिशानिर्देशों के साथ धार्मिक उद्देश्य के लिए हाथियों का उपयोग जारी रखा जाएगा।
केंद्रीय मंत्री ने इस अवसर पर दोहराते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार “गरीब-हितेषी, जन हितेषी और पृथ्वी हितैषी” है और यही कारण है कि प्रधानमंत्री ने ग्लासगो शिखर सम्मेलन में जीवन शैली (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) के एक मिशन की घोषणा की।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री के रूप में भूपेंद्र यादव ने घोषणा करते हुए कहा कि इडुक्की जिले के कट्टप्पना में जल्द ही गरीब लोगों की सेवा के उद्देश्य से पूरी सुविधा के साथ 100 बिस्तरों वाला ईएसआईसी अस्पताल होगा।
अंत में यादव ने कहा, “मुझे विश्वास है कि हमारे प्रयास विश्व स्तर पर जंगली हाथियों के भविष्य और उनके रहने के स्थान को सुरक्षित करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे।”
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने भी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि गजराज हमेशा से ही मानव कल्याण से जुड़ी सभी गतिविधियों का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हाथियों के संरक्षण में जनभागीदारी के महत्व को नकारा नहीं जा सकता।