नई दिल्ली : केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने कहा कि 20 करोड़ रुपये से अधिक टर्नओवर वाले व्यवसायों को एक अप्रैल से बी2बी (व्यवसाय से व्यवसाय) लेनदेन के लिए इलेक्ट्रॉनिक चालान काटना होगा।
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून के तहत बी2बी लेनदेन पर 500 करोड़ रुपये से अधिक टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए एक अक्टूबर 2020 से ई-चालान अनिवार्य कर दिया गया था। बाद में इसे एक जनवरी 2021 से 100 करोड़ रुपये से अधिक टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए अनिवार्य बना दिया गया।
पिछले साल एक अप्रैल से 50 करोड़ रुपये से अधिक टर्नओवर वाली कंपनियां बी2बी लेनदेन के लिए ई-चालान काट रही थीं। अब इसके दायरे में 20 करोड़ रुपये से अधिक टर्नओवर वाली कंपनियों को लाया जा रहा है। ईवाई इंडिया के टैक्स पार्टनर बिपिन सपरा ने कहा कि इस कदम से कर अनुपालन सरल होगा और इनपुट टैक्स क्रेडिट संबंधी धोखाधड़ी में भी कमी होगी।
Attention GST Taxpayers whose aggregate turnover exceeds Rs.20 crore in any financial year!
Generating E-invoice for B2B supply of goods or services or both, or for Exports is mandatory w.e.f April 01, 2022. pic.twitter.com/dDLTRGx9Xi
— CBIC (@cbic_india) February 25, 2022
सरकार लगातार कर रही नियमों में बदलाव
सरकार गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) के नियमों में लगातार बदलाव कर रही है जिससे टैक्स चोरी को रोककर उसके कलेक्शन को बढ़ावा मिलेगा.जीएसटी (GST) कानून के मुताबिक 1 अक्टूबर 2020 को सरकार ने यह फैसला लिया था कि जिन कंपनियों का सालाना टर्नओवर 500 करोड़ रुपये से ज्यादा है उन्हें अपने बिजनेस-टू-बिजनेस (B2B) लेनदेन पर ई-चालान जनरेट करना जरूरी था.
इसके बाद सरकार ने नियमों में बदलाव करते हुए 1 जनवरी 2021 को 100 करोड़ से ज्यादा का बिजनेस करने वाले व्यापारियों को लिए यह नियम लागू कर दिया. इसके बाद इस सीमा को 1 अप्रैल 2021 को 50 करोड़ तक का व्यापार करने वाले लोगों के लिए लागू किया गया. अब सरकार ने नियमों में फिर से बदलाव करके कहा है कि जो व्यापारी 20 करोड़ से ज्यादा का बिजनेस टू बिजनेस का लेनदेन करता है उसे 1 अप्रैल 2022 से ई-इनवॉइस जनरेट (E-Invoice) करना होगा.