नई दिल्ली : विधि और न्याय मंत्रालय, भारत सरकार से प्राप्त अनुरोध के अनुरूप, भारत निर्वाचन आयोग ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 8ए के अनुसार असम राज्य में विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन का कार्य शुरू करने का निर्णय लिया है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार और निर्वाचन आयुक्तों अनूप चंद्र पांडेय तथा अरुण गोयल के नेतृत्व में आयोग ने असम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिया है कि वे राज्य सरकार के साथ इस मामले पर विचार-विमर्श करें, ताकि नई प्रशासनिक इकाइयों के गठन पर 1 जनवरी, 2023 से राज्य में परिसीमन कार्य के पूरे होने तक पूर्ण प्रतिबंध आदेश जारी किया जा सके।
संविधान के अनुच्छेद 170 के तहत दिए गए कार्यादेश के अनुरूप, राज्य में संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्समायोजन के उद्देश्य से जनगणना के आकड़ों (2001) का उपयोग किया जाएगा। अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों का आरक्षण, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 330 और 332 के अनुसार किया जाएगा।
निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के उद्देश्य से आयोग अपने स्वयं के दिशा-निर्देश और कार्यप्रणाली तैयार करेगा तथा इन्हें अंतिम रूप देगा। परिसीमन के दौरान आयोग भौतिक विशेषताओं, प्रशासनिक इकाइयों की मौजूदा सीमाओं, संचार की सुविधा, जन सुविधा आदि को ध्यान में रखेगा और जहां तक संभव हो, निर्वाचन क्षेत्रों को भौगोलिक रूप से सुगठित क्षेत्र के रूप में रखा जाएगा।
असम राज्य में निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के प्रारूप प्रस्ताव को आयोग द्वारा अंतिम रूप दिए जाने के बाद, इसे आम जनता के सुझावों/आपत्तियों को आमंत्रित करने के लिए केंद्रीय और राज्य राजपत्रों में प्रकाशित किया जाएगा। इस संबंध में, राज्य के दो स्थानीय भाषा के समाचार पत्रों में सूचना भी प्रकाशित की जाएगी, जिसमें राज्य में होने वाली सार्वजनिक बैठकों की तिथि और स्थान के बारे में जानकारी दी जाएगी।
विधि और न्याय मंत्रालय द्वारा पत्र संख्या एच-11019/06/2022-एलईजी.II दिनांक 15 नवंबर, 2022 के माध्यम से भारत निर्वाचन आयोग से अनुरोध किया गया है कि वह असम राज्य में संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन करे। परिसीमन अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत, असम राज्य में निर्वाचन क्षेत्रों का अंतिम परिसीमन 1976 में तत्कालीन परिसीमन आयोग द्वारा जनगणना, 1971 के आंकड़ों के आधार पर किया गया था।