आखिरी भाजपा ने जीत ही ली दिल्ली : 27 साल का वनवास हुआ खत्म, आप के दिग्गजों को झेलनी पड़ी हार, जानिए क्या रहीं हार की वजह

New Dehli News : नईदिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव का घमासान शनिवार को परिणाम की घोषणा के साथ ही पूरा हो गया। विधानसभा की 70 सीटों के रिजल्ट शनिवार को आ गए। जिसमें भाजपा ने करीब 27 साल के वनवास के बाद एक बार फिर दिल्ली की गद्दी पर अपनी वापिसी की है। भाजपा ने 48 सीट जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया है। जबकि आम आदमी पार्टी (आप) ने 22 सीटें जीतीं। सबसे बड़ी बात कि कांग्रेस और एआईएमआईएम ओवैसी की पार्टी इस चुनाव में अपना खाता भी नहीं खोल सकी। कांग्रेस के 67 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है। पार्टी ने सभी 70 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए थे।

वहीं इस चुनाव में अगर वोट प्रतिशत की बात की जाए तो भाजपा को आप से 3.6% ज्यादा वोट मिले है। जिसके कारण भाजपा को 26 सीटें ज्यादा मिलीं। पिछली चुनाव में भाजपा सिर्फ 8 सीटें ही जीत सकी थीं। इस बार भाजपा की 71% स्ट्राइक रेट के साथ 40 सीटें बढ़ीं। पार्टी ने 68 पर चुनाव लड़ा, जिसमें से 48 सीटें जीतीं। वहीं आप को 40 सीटों का नुकसान हुआ है। आप का स्ट्राइक रेट 31% रहा।

भाजपा ने पिछले चुनाव (2020) के मुकाबले वोट शेयर में 9% से ज्यादा का इजाफा किया। वहीं आप को करीब 10% का नुकसान हुआ है। कांग्रेस को भले ही एक भी सीट नहीं मिली, लेकिन अपना वोट शेयर 2% बढ़ाने में कामयाब रही।

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इस तरह खत्म हुआ 27 साल का बनवास :

भाजपा ने 1993 में 49 सीटें जीतकर दो तिहाई बहुमत हासिल किया था। पांच साल की सरकार में मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज सीएम बनाए गए। 1998 के बाद कांग्रेस ने शीला दीक्षित को सीएम बनाकर यहां 15 साल राज किया। वर्ष 2013 से आम आदमी पार्टी की यहां अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में सरकार थी। आम आदमी पार्टी ने लगातार दस वर्ष तक यहां सत्ता संभाली।

कांग्रेस ने डूबाई आप की नैया :

दिल्ली चुनाव में अगर देखा जाएं तो कांग्रेस ने अलग चुनाव लड़कर आम आदमी पार्टी के गेम को ही बदल दिया। रही सही कसर ओवैसी की पार्टी ने पूरी कर दी। ऐसे में भले ही दिल्ली चुनाव में कांग्रेस का खाता नहीं खुल सका। लेकिन उसने करीब 14 से 15 सीटों पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों के जमकर वोट काट दिए। जिसके चलते जहां आप को जीतने की उम्मीद थी, वहां मामूली मतों के अंतर से उसके उम्मीदवार हार गए और भाजपा को दोनों दलों की यह लड़ाई फायदेमंद साबित हुई। राजनीति विश्लेषकों की मानें तो इन 14 सीटों पर आम आदमी पार्टी की हार का अंतर, कांग्रेस को मिले वोटों से कम है। यानी अगर आप और कांग्रेस का गठबंधन होता, तो दिल्ली में गठबंधन की सीटें बहुमत के करीब पहुंच सकती थी।

आप दिग्गज भी हुए चित्त :

दिल्ली चुनाव में केजरीवाल, मनीष सिसौदिया, सौरभ भारद्वाज जैसे दिग्गज भी चित्त हो गए। केजरीवाल को हराकर नई दिल्ली से प्रमेश वर्मा जीत गए। जंगपुरा से

तरविंदर सिंह मारवाह ने मनीष सिसोदिया काे हराया। सीएम आतिशी जरुर कालकाजी से जीत पाई।

हार की यह रही खास वजह :

– केजरीवाल पर करप्शन के आरोप लगे। उन्हें 177 दिन जेल में रहना पड़ा।

– भाजपा ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया। केजरीवाल के कट्टर ईमानदार की ब्राडिंग को तोड़ा गया।

– सीएम के सरकारी बंगले का हाईलाइट शीशमहल के रुप में हुआ। जिस पर 45 करोड़ खर्च करने की चर्चाएं हुई।

– केजरीवाल के खिलाफ मोर्च स्वयं पीएम मोदी, अमित शाह ने संभाला।

– केंद्र सरकार ने दिल्ली चुनाव से पहले बजट में 12 लाख तक की आय को इनकम टैक्स मुक्त कर दिया।

– भाजपा ने अपने अधिकांश उम्मीदवारों के चेहरे बदल दिए थे।

मोदी बोले दिल्ली आप-दा से मुक्त हुई :

दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की बड़ी जीत के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने यमुना मैया की जय के नारे के साथ कार्यकर्ताओं को बधाई दी। उन्होंने कहाकि आज दिल्ली आप-दा से मुक्त हुई है। दिल्ली वासियों ने आपना दिल खोलकर भाजपा को प्यार दिया है। इस प्यार को सवा गुना करके विकास के रुप में लौटाया जाएगा। माेदी ने अपने भाषण में अन्ना हजारे का भी जिक्र किया। उन्होंने कहाकि आज हजारे को भी आप-दा वालों के कुकर्मों की पीड़ा से मुक्ति मिली होगी।

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