धर्म : हर साल दिवाली से 2 दिन पहले धनतेरस का पर्व मनाया जाता हैं हिन्दू धर्म के हिसाब से दिवाली की शुरुवात भी इसी दिन से हो जाती हैं जहा लोगो के घरो में दिया रखने कि परंपरा की भी शुरुवात होती हैं। भारत सहित दुनिये के बड़े हिस्से में धनतेरस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता हैं ।
कार्तिक माह (पूर्णिमान्त) की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी, धन्वंतरि और कुबेर की पूजा की जाती है।
धनतेरस के दिन नई चीजों की खरीदारी करना शुभ माना गया हैं । पौराणिक मान्यता है कि इस दिन नई चीजों को खरीदना काफी लाभ तयक है। धनतेरस पर्व को धन त्रयोदशी या धन्वंतरि जयंती के रूप में भी जाना जाता है। इस साल 22 अक्टूबर(शनिवार) और 23 रविवार को को धन्वंतरी जयंती अर्थात धनतेरस मनाया जाएगा। धनतेरस के दिन ही आयुर्वेदिक शास्त्र के जनक और आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे.
शुभ मुहूर्त : शनिवार शाम 4.24 बजे से त्रयोदशी तिथि शुरू हो रही है, इसलिए 4.24 बजे के बाद ही धनतेरस माना जाएगा। 23 अक्टूबर 2022(रविवार) को शाम 4.55 बजे तक रहेगा।
प्रदोष काल – 05:45 पी एम से 08:17 पी एम।
वृषभ काल – 07:01 पी एम से 08:56 पी एम।
सर्वार्थ सिद्धि योग 23 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 32 मिनट से आरंभ होगा और दोपहर 2 बजकर 33 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। वहीं त्रिपुष्कर योग दोपहर 01 बजकर 50 मिनट से शाम 06 बजकर 02 मिनट तक रहेगा।
धनतेरस का महत्व !
जैन आगम में धनतेरस को ‘धन्य तेरस’ या ‘ध्यान तेरस’ भी कहते हैं। भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध के लिये चले गये थे। तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुये दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुये। तभी से यह दिन धन्य तेरस के नाम से प्रसिद्ध हुआ।धनतेरस पर कुछ नया खरीदने की परंपरा है। इसका विशेष कारण है की धनतेरस पर कुछ खास ग्रहों के योग बनते हैं। जो बहुत शुभ फलदायक होते..