बैंक के पास कैश नहीं मैनेजर ने मांगा दो दिन का समय : नगदी न मिलने से किसान व्यापारियों ने मचाया बवाल

Datia News : दतिया। बैंक से कैश न मिलने की समस्या कृषि मंडियों का माहौल बिगाड़ रही है। इन दिनाें उपज खरीदी का कार्य मंडियों में बड़े स्तर पर चल रहा है। ऐसे में व्यापारियों को नगदी की बड़ी आवश्यकता रहती है। लेकिन तहसील स्तर पर बने बैंक इसकी पूर्ति कर पाने में हाथ उठा देते हैं।

नतीजा मंडी में किसानों को नगद भुगतान की समस्या खड़ी हो जाती है। जिसके कारण व्यापारियों व किसानों के बीच विवाद होना स्वभाविक है। यही स्थिति गुरुवार को इंदरगढ़ उपमंडी में भी देखने को मिली।

किसान जब अपनी उपज लेकर मंडी पहुंचे तो व्यापारियों ने नगद भुगतान कर पाने में अपनी असमर्थता जता दी। व्यापारियों का कहना था कि एसबीआई बैंक से उन्हें पर्याप्त कैश न मिल पाने के कारण वह नगद भुगतान उपज खरीदी का नहीं कर सकेंगे। इसके बदले किसान आरटीजीएस या आनलाइन पेमेंट चाहे तो वह कर सकते हैं। इस बात से किसान भड़क गए। दोनों के मध्य बहस छिड़ गई। जिसके बाद व्यापारियों ने बोली स्थगित कर दी।

बैंक मैनेजर ने मांगा दो दिन का समय : बोली न लगाए जाने से परेशान किसान भी विरोध में उतर आए और उन्होंने मंडी गेट पर जाम लगाने की कोशिश की। मंडी आफिस पर नारेबाजी की गई।

मामला गरमाता देख नायब तहसीलदार सुनील भदौरिया और मंडी सचिव अनिल शर्मा मौके पर पहुंचे। जहां उन्होंने एसबीआई के मैनेजर को मौके पर बुलाया। ताकि किसानों के सामने स्थिति साफ हो सके।

इसके बाद बैंक मैनेजर ने कैश को लेकर आ रही समस्या के बारे में जानकारी देकर किसान और व्यापारियों से इस व्यवस्था के लिए सोमवार तक का समय मांगा। इसके बाद मामला शांत हो सका।

मंडी में रूकी रही डाकबोली : गुरुवार सुबह जब किसान गेंहूं की उपज लेकर मंडी पहुंचे तो व्यापारियों ने नगद भुगतान नहीं करने की बात कही। जिस पर किसान आक्रोशित हो गए। आपसी कहासुनी के बाद किसानों ने मंडी गेट पर विरोध प्रदर्शन शुरु कर दिया। किसानों का कहना था कि वे छोटे काश्तकार हैं।

सरकार का नियम है कि दो लाख तक की फसल बेचने पर नगद राशि दी जानी चाहिए। लेकिन व्यापारी सरकार के इस नियम को नहीं मान रहे हैं। आक्रोशित किसान चक्काजाम करने को उतारु थे।

मौके पर पहुंचे नायब तहसीलदार भदौरिया और मंडी सचिव अनिल शर्मा ने किसानों को समझाकर शांत किया। इसके बाद व्यापारियों से भी बातचीत की गई। इसके बाद बोली शुरू करवाकर व्यापारियों से किसानों काे भुगतान की व्यवस्था कराई गई।

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