हिंसा में 40 हजार से ज्यादा दलित-आदिवासी हुए प्रभावित, 114 SC-ST प्रोफेसरों ने राष्ट्रपति से की हस्तक्षेप की मांग

नई दिल्ली : बंगाल में विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से जारी हिंसा पर चिंता जताते हुए देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों व कालेजों के 114 एससी-एसटी प्रोफेसरों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा है।पत्र में आरोप लगाया गया है कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की ओर से हो रही हिंसक घटनाओं में राज्य पुलिस भी शामिल है।

सेंटर फार सोशल डेवलपमेंट (सीएसडी) की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि बंगाल में जारी राजनीतिक हिंसा में सबसे ज्यादा 40 हजार से अधिक अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लोगों के निशाना बनाया गया है।

11 हजार लोग बेघर हुए हैं, जबकि पांच हजार से अधिक घरों को गिरा दिया गया है। हिंसा के दौरान एससी-एसटी वर्ग के 1627 लोगों पर घातक हमले भी हुए हैं, जबकि 26 लोगों की हत्या हुई। इसके अलावा 142 महिलाओं पर भी अत्याचार किया गया है। 200 से अधिक लोग जान बचाने के लिए झारखंड, असम और ओडिशा में शरण लिए हुए हैं।

पत्र पर सीएसडी के सलाहकार व डीयू के अफ्रीकन स्टडीज के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. सुरेश कुमार और डीयू के अकादमिक परिषद के पूर्व सदस्य प्रो. केपी सिंह के हस्ताक्षर हैं। साथ ही 114 प्रोफेसरों के नाम संलग्न हैं। पत्र में राष्ट्रपति से हिंसा को रुकवाने तथा दोषियों को सख्त सजा दिलाने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की अपील की गई है। 

दिल्ली के 169 प्रतिष्ठित लोगों ने उपराज्यपाल को सौंपा ज्ञापन बंगाल में जारी हिंसा को लेकर दिल्ली की प्रतिष्ठित शख्सियतों के एक समूह ने भी उपराज्यपाल अनिल बैजल को ज्ञापन सौंपा है। 10 सूत्रीय ज्ञापन में 169 प्रतिष्ठित लोगों द्वारा हस्ताक्षर कर मामले में मदद की गुहार लगाई गई है।

इसमें पूर्व न्यायाधीश एसएन ढींगरा, एमसी गर्ग, मेजर जनरल ध्रुव कटोच, एयर वाइस मार्शल एचपी सिंह, आर्य समाज से विनय आर्य, रविदास मंदिर देव नगर के अध्यक्ष गोपाल किशन व डा. राजीव मित्तल समेत कई पूर्व न्यायाधीश, पूर्व सैन्य अधिकारी, लोक सेवक, पेशेवर, सामाजिक और धार्मिक क्षेत्र से जुड़े हैं।

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