birju maharaj biography in hindi
पंडित बृजमोहन मिश्र (जिन्हें बिरजू महाराज भी कहा जाता है)(४ फ़रवरी १९३८ – १६ जनवरी २०२२) प्रसिद्ध भारतीय कथक नर्तक थे। वे शास्त्रीय कथक नृत्य के लखनऊ कालिका-बिन्दादिन घराने के अग्रणी नर्तक थे।पंडित जी कथक नर्तकों के महाराज परिवार के वंशज थे जिसमें अन्य प्रमुख विभूतियों में इनके दो चाचा व ताऊ, शंभु महाराज एवं लच्छू महाराज;
बिरजू महाराज की जीवनी
तथा इनके स्वयं के पिता एवं गुरु अच्छन महाराज भी आते हैं। हालांकि इनका प्रथम जुड़ाव नृत्य से ही है, फिर भी इनकी पर भी अच्छी पकड़ थी, तथा ये एक अच्छे शास्त्रीय गायक भी थे.(birju maharaj biography in hindi)
इन्होंने कत्थक नृत्य में नये आयाम नृत्य-नाटिकाओं को जोड़कर उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।[3] इन्होंने कत्थक हेतु ”’कलाश्रम”’ की स्थापना भी की है।
बिरजू महाराज
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पृष्ठभूमि की जानकारी | |
जन्म | 4 फ़रवरी 1938 (आयु 83) लखनऊ, उत्तर प्रदेश |
मूल | भारत |
मृत्यु | १७ जनवरी २०२२ |
शैलियां | हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत |
शास्त्रीय नर्तक | |
सक्रिय वर्ष | १९५१ – १६.०१.२०२२ |
जालस्थल | birjumaharaj-kalashram |
बिरजू महाराज की जीवनी
इसके अलावा इन्होंने विश्व पर्यन्त भ्रमण कर सहस्रों नृत्य कार्यक्रम करने के साथ-साथ कत्थक शिक्षार्थियों हेतु सैंकड़ों कार्यशालाएं भी आयोजित की। अपने चाचा, शम्भू महाराज के साथ नई दिल्ली स्थित भारतीय कला केन्द्र, जिसे बाद में कत्थक केन्द्र कहा जाने लगा; (birju maharaj biography in hindi)
उसमें काम करने के बाद इस केन्द्र के अध्यक्ष पर भी कई वर्षों तक आसीन रहे। तत्पश्चात १९९८ में वहां से सेवानिवृत्त होने पर अपना नृत्य विद्यालय कलाश्रम भी दिल्ली में ही खोला।
आरम्भिक जीवन तथा पृष्ठभूमि
बिरजू महाराज का जन्म कत्थक नृत्य के लिये प्रसिद्ध जगन्नाथ महाराज के घर हुआ था, जिन्हें लखनऊ घराने के अच्छन महाराज कहा जाता था। ये रायगढ़ रजवाड़े में दरबारी नर्तक हुआ करते थे।[5] इनका नाम पहले दुखहरण रखा गया था, क्योंकि ये जिस अस्पताल पैदा हुए थे,
बिरजू महाराज का जीवन परिचय
उस दिन वहाँ उनके अलावा बाकी सब कन्याओं का ही जन्म हुआ था, जिस कारण उनका नाम बृजमोहन रख दिया गया। यही नाम आगे चलकर बिगड़ कर ‘बिरजू’ और उससे ‘बिरजू महाराज’ हो गया।[3] इनको उनके चाचाओ लच्छू महाराज एवं शंभु महाराज से प्रशिक्षण मिला,
बिरजू महाराज का जीवन परिचय
तथा अपने जीवन का प्रथम गायन इन्होंने सात वर्ष की आयु में दिया। २० मई, १९४७ को जब ये मात्र ९ वर्ष के ही थे, इनके पिता का स्वर्गवास हो गया।(birju maharaj biography in hindi)परिश्रम के कुछ वर्षोपरान्त इनका परिवार दिल्ली में रहने लगा।
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व्यावसायिक जीवन
बिरजू महाराज ने मात्र १३ वर्ष की आयु में ही नई दिल्ली के संगीत भारती में नृत्य की शिक्षा देना आरम्भ कर दिया था। उसके बाद उन्होंने दिल्ली में ही भारतीय कला केन्द्र में सिखाना आरम्भ किया। (birju maharaj biography in hindi)
कुछ समय बाद इन्होंने कत्थक केन्द्र (संगीत नाटक अकादमी की एक इकाई) में शिक्षण कार्य आरम्भ किया। यहां ये संकाय के अध्यक्ष थे तथा निदेशक भी रहे। तत्पश्चात १९९८
birju maharaj Kaun hai
में इन्होंने वहीं से सेवानिवृत्ति पायी। इसके बाद कलाश्रम नाम से दिल्ली में ही एक नाट्य विद्यालय खोला। इन्होंने सत्यजीत राय की फिल्म शतरंज के खिलाड़ी की संगीत रचना की, तथा उसके दो गानों पर नृत्य के लिये गायन भी किया।(birju maharaj biography in hindi)
इसके अलावा वर्ष २००२ में बनी हिन्दी फ़िल्म देवदास में एक गाने काहे छेड़ छेड़ मोहे का नृत्य संयोजन भी किया। [8] इसके अलावा अन्य कई हिन्दी फ़िल्मों जैसे डेढ़ इश्किया, उमराव जान तथा संजय लीला भन्साली निर्देशित बाजी राव मस्तानी में भी कत्थक नृत्य के संयोजन किये।
पुरस्कार एवं सम्मान
बिरजू महाराज को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी सर्वश्रेष्ठ नृत्य निर्देशन हेतु राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार देते हुए बिरजू महाराज को अपने क्षेत्र में आरम्भ से ही काफ़ी प्रशंसा एवं सम्मान मिले, जिनमें १९८६ में पद्म विभूषण, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार तथा कालिदास सम्मान प्रमुख हैं।(birju maharaj biography in hindi)
इनके साथ ही इन्हें काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एवं खैरागढ़ विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि मानद मिली। २०१६ में हिन्दी फ़िल्म बाजीराव मस्तानी में “मोहे रंग दो लाल ” गाने पर नृत्य-निर्देशन के लिये फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला। २००२ में लता मंगेश्कर पुरस्कार।
भारतीय नृत्य कला को विश्वभर में विशिष्ट पहचान दिलाने वाले पंडित बिरजू महाराज जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनका जाना संपूर्ण कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति! pic.twitter.com/PtqDkoe8kd
— Narendra Modi (@narendramodi) January 17, 2022
birju maharaj Kaun hai
भरत मुनि सम्मान २०१२ मे सर्वश्रेष्ठ नृत्य निर्देशन हेतु राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार: फिल्म विश्वरूपम के लिये।(birju maharaj biography in hindi)
भारतीय कथक, नर्तक और शास्त्रीय गायक पंडित बिरजू महाराज का 83 साल की उम्र में निधन हो गया है. पद्म विभूषण से सम्मानित बिरजू महाराज के निधन की खबर उनके परिजनों ने दी.
रविवार-सोमवार की दरमियानी रात दिल्ली के एक हॉस्पिटल में उन्होंने अंतिम सांस ली. बिरजू महाराज के निधन की खबर से संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई है(birju maharaj biography in hindi)
महान कथक नृतक बिरजू महाराज के निधन पर उनकी पोती रागिनी महाराज ने बताया कि दिल्ली में पिछले एक महीने से उनका इलाज चल रहा था. बीती रात उन्होंने रागिनी के हाथों से खाना भी खाया था,
उन्होंने बिरजू महाराज को कॉफी भी पिलाई थी.
इसी बीच उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई. इसके बाद उन्हें अस्पताल ले गए जहां, उपचार के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली.(birju maharaj biography in hindi)
बीएचयू की मानद उपाधि से हो चुके हैं सम्मानित
कत्थक को एक नई पह्चान देने वाले बिरजू महाराज को अपने जीवन में कई सम्मान और उपाधि मिल चुकी हैं. महाराज को पदम विभूषण, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और कालिदास सम्मान जैसे पुरस्कार भी मिल चुके हैं.
इसके अलावा उन्हें काशी हिंदू विश्वविद्यालय और खैरागढ़ विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद उपाधि से भी सम्मानित किया जा चुका है.(birju maharaj biography in hindi)
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-Not know