बरेली । कोरोना संक्रमण के बीच कुछ दिनों से ब्लैक फंगस भी परेशान कर रहा। ज्यादातर मामलों में इसकी वजह ज्यादा स्टेरायड व लगातार आक्सीजन मास्क लगाना माना जा रहा है। विशेषज्ञ कहते हैं कि ब्लैक फंगस सिर्फ इन्हीं वजह से नहीं बल्कि आपके रेफ्रिजरेटर या रसोई के नमी वाले स्थान से भी हो सकता है। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) के पूर्व निदेशक और वायरोलाजिस्ट डा.सिंह का कहना है कि ब्लैक फंगस का असर शरीर की कम रोग प्रतिरोधक क्षमता की वजह से ही बढ़ता है।
लेकिन फंगस से बचाव के लिए अपने स्तर से भी लगातार कोशिश करनी चाहिए। रेफ्रिजरेटर में लगने वाली कोटिंग रबर से भी खतरा है। रेफ्रिजरेटर ठीक से बंद हो इसलिए उसके दरवाजे के किनारे रबर की कोटिंग होती है। लंबे समय तक इसे साफ न करें तो नमी और हवा के संपर्क में आने पर इस पर फंगस जमा हो जाते हैं। यह अंदर के वातानुकूलित माहौल में रखे फल, आटा, सब्जी या अन्य खाद्य पदार्थ पर पहुंच जाते हैं। यहां से कोई सीधे फल, सब्जी या अन्य खाद्य पदार्थ खाता है तो उसके अंदर फंगस की मात्रा काफी बढ़ जाती है।
रसोई में बर्तन धोने या हाथ धोने वाले स्थान पर लगातार नमी बनी रहने से फंगस का खतरा बना रहता है। ऐसे में जरुरी है कि रसोई का वही कोना इस उपयोग में लाएं, जहां धूप-हवा आए और सीलन न हो। उपयोग की हुई चाय की पत्ती अक्सर लोग गमले में डाल देते हैं, इससे भी फंगस होता है, जोकि हवा के जरिए पौधों की देखरेख करने वालों तक आसानी से पहुंच सकता। ऐसी स्थिति में चाय की पत्ती को मिट्टी में दबा दें।
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रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होते ही करता असर
इंसान के शरीर में बड़ी संख्या में फंगस होते हैं। मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता होने की वजह से ये असरदार नहीं होते। जैसे ही किसी बीमारी की वजह से इंसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) हावी हो जाता है। यह शरीर के सिस्टम पर असर डालता है और ब्लैक फंगस में तब्दील होकर जानलेवा बन जाता है। बचाव के लिए यह भी जरुरी है कि रेफ्रिजरेटर में आटा गूंथकर न रखें, खुली ब्रेड न रखें। इनमें फंगस जल्द लगता है। वातानुकूलित माहौल में उड़ते हुए फंगस इन सभी चीजों तक आसानी से पहुंच जाता है। फल और सब्जी को अच्छी तरह धोकर खाएं। रसोईघर में कटा हुआ प्याज न रखें।