भोपाल : वायरस गिरा रहा प्रतिरोधक क्षमता, घट रही डब्ल्यूबीसी -थक्का बनने से खून की सप्लाई कम, नेक्रोसिस से फंगस संतोष शुक्ल, मेरठ अब ऐसे मरीजों में ब्लैक फंगस का प्रकोप मिल रहा है, जो न अस्पताल में भर्ती हुए और न ही लंबी स्टेरायड चली। शुगर भी सामान्य। डाक्टरों का कहना है कि कोरोना वायरस किसी संक्रमण की तुलना में प्रतिरोधक क्षमता को तेजी से गिराता है, इसीलिए फंगल इंफेक्शन हो रहा है। थ्रंबोसिस यानी रक्त का थक्का बनने से कई अंगों में खून का प्रवाह कम होने से वहां फंगस आसानी से चिपक जाता है। यह खतरनाक लक्षण है। बुखार आया, फिर आंख फूल आई न्यूरोसर्जन डा. अमित बिंदल बताते हैं कि 50 साल के एक मरीज को तीन दिन पहले बुखार आया, फिर ठीक हो गया। उसने कोई स्टेरायड नहीं ली। शुगर महज 155 था, जो सामान्य है। हालांकि उनकी आंखों और चेहरे पर सूजन थी। आधे चेहरे पर सुन्नपन मिला। जांच में ब्लैक फंगस का मरीज निकला। ऐसे ही एक मरीज को कोरोना से संक्रमित होने का पता ही नहीं चला और बाद में म्यूकर हो गया। मेरठ मेडिकल कालेज के न्यूरोसर्जन डा. संजय शर्मा ने बताया कि ज्यादा शुगर, आइसीयू में देर तक भर्ती, आक्सीजन पाइपलाइन में प्रदूषण व स्टेरायड के ओवरडोज से म्यूकर का खतरा बढ़ता है, लेकिन कई मरीज ऐसे हैं, जिन्हें आक्सीजन ही नहीं लगी। बताया कि कोरोना वायरस रक्त को गाढ़ा करता है। कई मरीजों में थ्रंबोसिस मिला, जिससे अंदरूनी नलिकाओं में रक्त का पहुंचना बंद होने से नेक्रोसिस हो जाता है। वहां फंगस लगने की आशंका ज्यादा है। इंफ्लामेट्री मार्कर बढ़ने से भी गिरी प्रतिरोधक क्षमता कोरोना पीड़ितों में सफेद रक्त कणिकाओं की मात्रा कम मिल रही है, जो प्रतिरोधक क्षमता बनाती है। साथ ही रक्त में फेरिटिन यानी फ्री आयरन बढ़ने से यह फंगस के लिए अनुकूल माहौल देता है। सीआरपी, आइएल-6 यानी इंटरल्यूकिन व शुगर बढ़ता है। साइटोकाइन स्टार्म में तेजी से प्रतिरोधक क्षमता गिरती है, जहां से फंगस जैसे संक्रमण पकड़ रहे हैं। मेडिकल कालेज में भर्ती पांच सौ से ज्यादा मरीजों की स्टडी रिपोर्ट में सामने आया कि वायरस रक्त में चिपचिपापन बढ़ाकर उसे गाढ़ा करता है, साथ ही कई इंफ्लामेट्री मार्कर बढ़ जाते हैं।