Gwalior News : ग्वालियर । भाजपा में गए राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया(Jyotiraditya Scindia) के पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेसी उनको घेरने की कोई कसर नहीं छोड़ती। इसे लेकर उन पर कांग्रेसी कई बार कटाक्ष भी करते रहते हैं। इस बार तो एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने सिंधिया की सुरक्षा व्यवस्था को ठेंगा दिखाते हुए उन्हें बेशर्म के फूलों की माला तक पहना दी।
भाजपा के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) की सुरक्षा में बड़ी चूक हो गई। ग्वालियर (Gwalior) में उनके क़ाफिले को रोक लिया गया और NSUI कार्यकर्ताओं ने उन्हें बेशर्म के फूलों की माला पहना दी। पुलिस मूकदर्शक बन यह सब कुछ देखती रह गई। हालांकि पहले से कुछ गड़बड़ होने की आशंका थी। सिंधिया का क़ाफिला एयरपोर्ट पहुंचने ही वाला था कि गोले का मंदिर चौराहा पर लगभग 20-22 लोगों ने रोक लिया। इन लोगों ने सिंधिया को ज्ञापन दिया और फिर माला पहना दी।
बता दें कि ज्योतिरादित्य को ज़ेड श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई है। भाजपा नेताओं ने इस तरह की घटना पर चिंता जताई है। इस तरह की सुरक्षा प्राप्त नेताओं की सिक्योरिटी के लिए तंत्र सक्रिय रहता है और पहले ही ऐसी घटनाओं का पता लगा लेता है। लेकिन इस मामले में पुलिस देखती ही रह गई। ख़ास बात यह भी है कि सिंधिया के साथ इस तरह का व्यवहार उनके ही गृह नगर में किया गया।
दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया ( Jyotiraditya Scindia ) अब अपनी छवि बदलने में लगे हुए हैं। वह छोटे-बड़े हर तरह के नेता से मिल रहे हैं। यहां तक कि उनके कट्टर दुश्मन कहे जाने वाले जयभान सिंह पवैया के घर भी वह पहुंचे थे। पूर्व मंत्री जयभान सिंह के साथ सिंधिया परिवार की 23 साल पुरानी दुश्मनी थी। फिर भी वह पवैया के घर पहुंचे। इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि पवैया और ज्योतिरादित्य एक दूसरे के घर गए हों।
20 अप्रैल को पवैया के पिता का निधन हो गया था। दुख के मौके पर ज्योतिरादित्य उनसे मुलाकात करने पहुंचे। इस तरह से नये रिश्ते की शुरुआत हो गई। इस मुलाक़ात पर चर्चा का बाज़ार गर्म है। बंद कमरे में दोनों नेता क़रीब 20 से 25 मिनट तक मिले। निकलने के बाद ज्योतिरादित्य ने यह भी कहा कि अतीत-अतीत होता है, और वर्तमान तो वर्तमान है।
जयभान पवैया (Jaybhan Singh Pawiya) का विरोध माधवराव (Madhav Rao Scindia) और ज्यतिरादित्य सिंधिया से भले ही रहा हो, लेकिन वह राजमाता विजयराजे सिंधिया के क़रीबी ही रहे हैं। वह जनसंघ और भाजपा में भी राजमाता के क़रीबी रहे। वह बजरंगदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। ज्योतिरादित्य जब कांग्रेस में थे तो दोनों के बीच अदावत थी। लेकिन अब वह भी भाजपा में आ गए हैं। ऐसे में दोस्ती का हाथ बढ़ाना भी लाज़मी है।