चंडीगढ़ : पंजाब कांग्रेस के अंतर्कलह को जैसे-जैसे थामने की कोशिश हो रही है, यह बढ़ता ही जा रहा है। विरोधियों के पार्टी हाईकमान की देहरी पर डेरा डालने के बीच मुख्यमंत्री अमरिंदर खेमे ने भी गुरुवार रात ताकत दिखा दी।
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने दावा किया कि रात्रि भोज में 58 विधायक-मंत्री और आठ सांसद शामिल हुए। सबने विश्वास जताया कि 2022 में कांग्रेस कैप्टन के नेतृत्व में चुनाव जीतेगी।
उधर, बागी सुर अपनाए तीन कैबिनेट मंत्रियों तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखबिंदर सिंह सरकारिया, सुखजिंदर सिंह रंधावा और विधायक परगट सिंह अपने समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली में डट गए हैं। वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने एक बार फिर निजी थर्मल प्लांटों के साथ हुए समझौते रद करने और तीन रुपये प्रति यूनिट घरेलू बिजली देने का मुद्दा उठा दिया है।
मुख्यमंत्री अमरिंदर के लिए उनके करीबी मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी ने अपने निवास पर रात्रि भोज का आयोजन किया। इसमें मंत्रियों, विधायकों व सांसदों समेत बड़ी संख्या में अन्य पार्टी नेता भी पहुंचे।
यह इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि दो दिन पहले मंगलवार को ही चार कैबिनेट मंत्रियों और करीब दो दर्जन विधायकों ने बैठक करके मुख्यमंत्री पर भरोसा न होने का प्रस्ताव पारित किया था। माना जा रहा है कि कैप्टन ने इसके जरिये हाईकमान को अपनी ताकत का एहसास करा दिया है।
अहम बात यह भी है कि डिनर में कुलदीप वैद्य, सुखजीत सिंह लोहगढ़, कुशलदीप ढिल्लों सहित कई वह विधायक भी शामिल हुए जो कैप्टन के खिलाफ हुई बैठक में भी मौजूद थे। उनके अलावा कैबिनेट मंत्री ब्रह्म मोहिंदरा, मनप्रीत बादल, साधू सिंह धर्मसोत, अरुणा चौधरी, गुरप्रीत कांगड़, बलबीर सिंह सिद्धू, विजय इंदर सिंगला व सुंदर शाम अरोड़ा भोज में शामिल हुए।
सिद्धू और उनके समर्थक विधायकों को नहीं बुलाया गया था। हाईकमान को आज रिपोर्ट देंगे रावत उधर, देहरादून राज्य ब्यूरो के मुताबिक दिल्ली पहुंचने के बाद रावत ने जागरण से बातचीत में कहा कि उनकी कोशिश रहेगी कि पंजाब के राजनीतिक घटनाक्रम की स्टेटस रिपोर्ट वह शुक्रवार को पार्टी नेतृत्व को सौंप दें।
सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात कर उन्हें पंजाब के नवीनतम राजनीति हालात की जानकारी देंगे। संभावना यह भी है कि मुलाकात के दौरान वह कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पद से स्वयं को मुक्त करने की इच्छा भी व्यक्त कर दें। दरअसल, हरीश रावत के पास वर्तमान में दो महत्वपूर्ण दायित्व हैं।
पंजाब के प्रभारी वह पहले से ही हैं और हाल ही में उन्हें उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी सौंप दी है। उत्तराखंड और पंजाब, दोनों ही राज्यों में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव हैं। इस स्थिति में रावत अब स्वयं के लिए उत्तराखंड में पूरा वक्त चाहते हैं।