भारत अब चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश – केंद्र सरकार , गन्ना किसानों को मिलेगा फ़ायदा

नई दिल्ली : पिछले कुछ वर्षों के दौरान, देश में चीनी का उत्पादन घरेलू खपत से लगातार अधिक रहा है, जिससे अधिशेष की स्थिति बनती रही। देश में अतिरिक्त चीनी की समस्या का समाधान करने के लिए, केंद्र सरकार पिछले कुछ चीनी सीजन के दौरान चीनी मिलों को अतिरिक्त चीनी को इथेनॉल के लिए देने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसके साथ ही मिलों को अतिरिक्त चीनी का निर्यात करने की भी सुविधा दी जा रही है जिससे चीनी मिलों के पास धनराशि बढ़े और वे गन्ना किसानों का भुगतान कर सकें।

हाल के समय में चीनी के निर्यात और चीनी को इथेनॉल में बदलने से भी मांग-आपूर्ति संतुलन बनाए रखने और देश में चीनी की कीमतों को स्थिर करने में मदद मिली है। चीनी सीजन 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) से चीनी निर्यात और इथेनॉल में चीनी के डायवर्जन का विवरण इस प्रकार है:

{लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) में}

चीनी सीजन 2018-19 2019-20 2020-21 2021-22
चीनी का इथेनॉल में इस्तेमाल 3 9 22 35
निर्यात 38 59 70 100

(01.08.2022 तक)

 

दुनियाभर के हालात को ध्यान में रखते हुए देखें, तो भारत से किसी भी तरह के अनियंत्रित निर्यात से संकट (कमी का) पैदा हो सकता है; और स्थानीय कीमतें सितंबर-नवंबर 2022 की अवधि के दौरान बढ़ सकती हैं। सरकार खाद्य महंगाई को लेकर भी चिंतित है।

ऐसे में, देश में घरेलू खपत के लिए उचित मूल्य पर चीनी की पर्याप्त उपलब्धता बनी रहे, इसके लिए सरकार ने मई 2022 में 100 एलएमटी से अधिक चीनी के निर्यात को रोक दिया। निर्यातकों के साथ-साथ चीनी मिलों को जून 2022 में निर्यात के लिए 10 एलएमटी तक के निर्यात रिलीज ऑर्डर (ईआरओ) जारी किए गए थे। 1 अगस्त 2022 तक लगभग 100 एलएमटी निर्यात किया गया है।

हालांकि मई 2022 में प्रतिबंध लागू होने के समय से चीनी के स्टॉक की स्थिति में बदलाव आया है, जैसे चीनी का उत्पादन बढ़ा है और घरेलू बाजार में कमजोर मांग के कारण चीनी की खपत घटी है। गन्ने की पेराई आमतौर पर अक्टूबर के अंत या नवंबर के पहले सप्ताह में शुरू होती है,

लेकिन आगामी चीनी सीजन 2022-23 में गन्ने की पर्याप्त उपलब्धता के कारण पेराई अक्टूबर 2022 के पहले से तीसरे हफ्ते में ही शुरू हो सकती है। ऐसे में अक्टूबर 2022 के मध्य से बाजार में नई चीनी आने लगेगी। इस प्रकार, आगामी चीनी सीजन में 60 एलएमटी का शुरुआती स्टॉक घरेलू कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए पर्याप्त होगा।

इसलिए जुलाई 2022 के अंतिम सप्ताह में सरकार ने स्थिति की समीक्षा की और गन्ना किसानों और चीनी उद्योगों के हित में 112 एलएमटी तक चीनी के निर्यात की अनुमति देने का निर्णय लिया गया। 112 एलएमटी तक चीनी के निर्यात के बाद भी,

60 एलएमटी का क्लोजिंग स्टॉक बनाए रखा जाएगा और महाराष्ट्र, कर्नाटक और अन्य राज्यों में पेराई अक्टूबर 2022 के पहले से तीसरे सप्ताह तक शुरू हो जाएगी। ऐसे में देश में उचित मूल्य पर चीनी की पर्याप्त उपलब्धता रहेगी और खुदरा मूल्य स्थिर बने रहने की संभावना है।

मौजूदा चीनी सीजन में 1 अगस्त 2022 तक 100 एलएमटी चीनी के निर्यात से चीनी मिलों के पास 33,000 करोड़ रुपये तक धनराशि आएगी, जिससे वे किसानों के गन्ने का बकाया चुका सकें। आगे और 12 एलएमटी चीनी का निर्यात करने से चीनी मिलों के पास 3600 करोड़ रुपये तक की धनराशि आएगी,

जिससे वो किसानों का बकाया चुका सकेंगे। 4 अगस्त 2022 तक गन्ना किसानों का बकाया 9700 करोड़ रुपये के करीब है। इस सीमा तक चीनी के निर्यात से विदेशी मुद्रा हासिल करने और व्यापार घाटे को भी कम करने में मदद मिलेगी।

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