नई दिल्ली : केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद लद्दाख के विकास के लिए पूरी ताकत से जुटी केंद्र सरकार ने गुरुवार को इसे दो और बड़े तोहफे दिए। इनमें पहला करीब 750 करोड़ की लागत से बनने वाला केंद्रीय विश्वविद्यालय है। इसके पहले चरण का काम अगले चार वर्षों में पूरा हो जाएगा।
इसके साथ ही स्थानीय उद्योग और कारोबार को बढ़ावा देने के लिए लद्दाख में एक इंटीग्रेटेड मल्टीपरपस कारपोरेशन का भी गठन होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक में लद्दाख को लेकर इन दोनों फैसलों को मंजूरी दी गई।
कैबिनेट में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि केंद्र शासित प्रदेश के रूप में लद्दाख के अस्तित्व में आने के बाद यह पाया गया कि यहां उच्च शिक्षा का कोई शीर्ष संस्थान नहीं है।
इसके बाद ही केंद्र सरकार ने लद्दाख में केंद्रीय विश्वविद्यालय खोलने का फैसला लिया था, जिसे अब मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा कि इस केंद्रीय विश्वविद्यालय के खुलने से इस पूरे क्षेत्र में उच्च शिक्षा को लेकर असमानता खत्म होगी।
साथ ही स्थानीय शिक्षण संस्थानों को भी मजबूती मिलेगी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अभी यह तय नहीं हुआ है कि इसमें शिक्षण कार्य कब से शुरू होगा।
हालांकि, जब तक भवन का निर्माण नहीं हो जाता है, तब तक इसकी शुरुआत किराये के भवन से की जा सकती है। यह फैसला स्थानीय स्तर पर संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर ही लिया जाएगा।
कैबिनेट में इसके साथ ही लद्दाख को लेकर दूसरा जो बड़ा फैसला लिया गया है, वह स्थानीय उद्योग को बढ़ावा देने से जुड़ा है। इसके तहत एक इंटीग्रेटेड मल्टीपरपस कारपोरेशन का गठन किया जाएगा। यह 25 करोड़ की पूंजी से अपना काम शुरू करेगा। इसका सालाना खर्च करीब 2.42 करोड़ का होगा।
इसके साथ ही इसका एक प्रबंध निदेशक भी होगा। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि मौजूदा समय में लद्दाख में ऐसा कोई संगठन नहीं है। इससे उद्योग, पर्यटन, परिवहन, हस्तशिल्प आदि को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।