Chandigarh Airport Name Change News in Hindi
नई दिल्ली : हर रविवार के तरह इस रविवार यानी 25 सितम्बर को मन की बात के 93वें एपिसोड में PM नरेंद्र मोदी ने कई ऐलान किया है जिनमें से एक सबसे बड़ी बात ये है कि चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम अब शहीद भगत सिंह के नाम पर रखा जाएगा। यह फैसला भगत सिंह की जयंती के मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए लिया गया है। उनकी जयंती 28 सितंबर को मनाई जाएगी।(Chandigarh Airport Name Change News in Hindi)
PM Modi on bhagat singh in man ki baat
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पल कि लम्बे समय से प्रतीक्षा की जा रही थी। मैं चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा और देश के सभी लोगों को इस निर्णय की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा लें, उनके आदर्शों पर चलते हुए उनके सपनों का भारत बनाएं, यही, उनके प्रति हमारी श्रद्धांजलि होती है।
शहीदों के स्मारक, उनके नाम पर स्थानों और संस्थानों के नाम हमें कर्तव्य के लिए प्रेरणा देते हैं।(Chandigarh Airport Name Change News in Hindi) उन्होंने आगे कहा कि अभी कुछ दिन पहले ही देश ने कर्तव्यपथ पर नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की मूर्ति की स्थापना के ज़रिये भी ऐसा ही एक प्रयास किया है और अब शहीद भगत सिंह के नाम से चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम इस दिशा में एक और कदम है।
मैं चाहूँगा, अमृत महोत्सव में हम जिस तरह स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़े विशेष अवसरों परcelebrate कर रहे हैं उसी तरह 28 सितम्बर को भी हर युवा कुछ नया प्रयास अवश्य करे(Chandigarh Airport Name Change News in Hindi)
Surgical Strike कि भी दिलाई याद !
पीएम मोदी बोले आप सभी के पास 28 सितम्बर को celebrate करने की एक और वजह भी है। जानते हैं क्या है! मैं सिर्फ दो शब्द कहूँगा लेकिन मुझे पता है, आपका जोश चार गुना ज्यादा बढ़ जाएगा। ये दो शब्द हैं- Surgical Strike। बढ़ गया ना जोश! हमारे देश में अमृत महोत्सव का जो अभियान चल रहा है उन्हें हम पूरे मनोयोग से celebrate करें, अपनी खुशियों को सबके साथ साझा करें।(Chandigarh Airport Name Change News in Hindi)
ऐसे कि थी प्रधानमंत्री ने 93वें मन की बात कि शुरुवात !
PM मोदी : मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। पिछले दिनों जिस बात ने हम सब का ध्यान आकर्षित किया – वह है चीता। चीतों पर बात करने के लिए ढ़ेर सारे messages आए हैं, वह चाहे उत्तर प्रदेश के अरुण कुमार गुप्ता जी हों या फिर तेलंगाना के एन. रामचंद्रन रघुराम जी; गुजरात के राजन जी हों या फिर दिल्ली के सुब्रत जी। देश के कोने-कोने से लोगों ने भारत में चीतों के लौटने पर खुशियाँ जताई हैं। 130 करोड़ भारतवासी खुश हैं, गर्व से भरे हैं – यह है भारत का प्रकृति प्रेम। इस बारे में लोगों का एक common सवाल यही है कि मोदी जी हमें चीतों को देखने का अवसर कब मिलेगा ?(PM Modi mann ki baat today)
A laudatory effort from Daman, Diu, Dadra and Nagar Haveli which shows the power of human compassion. #MannKiBaat pic.twitter.com/hSL2CFRHXr
— Narendra Modi (@narendramodi) September 25, 2022
साथियो, एक task force बनी है। यह task force चीतों की monitoring करेगी और ये देखेगी कि यहाँ के माहौल में वो कितने घुल-मिल पाए हैं। इसी आधार पर कुछ महीने बाद कोई निर्णय लिया जाएगा, और तब आप, चीतों को देख पायेंगे। लेकिन तब तक मैं आप सबको कुछ-कुछ काम सौंप रहा हूँ, इसके लिए MyGovके platform पर, एक competition आयोजित किया जाएगा,
जिसमें लोगों से मैं कुछ चीजें share करने का आग्रह करता हूँ।चीतों को लेकर जो हम अभियान चला रहे हैं, आखिर, उस अभियान का नाम क्या होना चाहिए! क्या हम इन सभी चीतों के नामकरण के बारे में भी सोच सकते हैं, कि, इनमें से हर एक को, किस, नाम से बुलाया जाए! (PM Modi mann ki baat today)
सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मृत्यु में 50 प्रतिशत तक कमी लाने का करें प्रयास : परिवहन मंत्री गडकरी ने राज्यों से किया आव्हान
वैसे ये नामकरण अगर traditional हो तो काफी अच्छा रहेगा, क्योंकि, अपने समाज और संस्कृति, परंपरा और विरासत से जुड़ी हुई कोई भी चीज, हमें, सहज ही, अपनी ओर आकर्षित करती है। यही नहीं, आप ये भी बतायें, आखिर इंसानों को,animals के साथ कैसे behave करना चाहिए! (PM Modi mann ki baat today)
PM Modi mann ki baat today
हमारी fundamental duties में भी तो respect for animals पर जोर दिया गया है। मेरी आप सभी से अपील है कि आप इस competition में जरुर भाग लीजिए – क्या पता इनाम स्वरुप चीते देखने का पहला अवसर आपको ही मिल जाए!
Sign Language पर दिया गया हैं जोर !
जीवन के संघर्षों से तपे हुए व्यक्ति के सामने कोई भी बाधा टिक नहीं पाती। अपनी रोजमर्रा की ज़िन्दगी में हम कुछ ऐसे साथियों को भी देखते हैं, जो किसी ना किसी शारीरिक चुनौती से मुकाबला कर रहे हैं। बहुत से ऐसे भी लोग हैं जो या तो सुन नहीं पाते, या, बोलकर अपनी बात नहीं रख पाते। ऐसे साथियों के लिए सबसे बड़ा सम्बल होती है, Sign Language. लेकिन भारत में बरसों से एक बड़ी दिक्कत ये थी कि Sign Language के लिए कोई स्पष्ट हाव-भाव तय नहीं थे, standards नहीं थे।
इन मुश्किलों को दूर करने के लिए ही वर्ष 2015 में Indian Sign Language Research and Training Centerकी स्थापना हुई थी। मुझे ख़ुशी है कि ये संस्थान अब तक दस हज़ार words और Expressions की Dictionary तैयार कर चुका है।
दो दिन पहले यानि 23 सितम्बर को Sign Language Day पर, कई स्कूली पाठ्यक्रमों को भी Sign Language में Launch किया गया है।Sign Language के तय Standard को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी काफी बल दिया गया है।Sign Language कीजो Dictionary बनी है, उसके video बनाकर भी उनका निरंतर प्रसार किया जा रहा है।(PM Modi on Chandigarh Airport in Hindi )
YouTube पर कई लोगों ने, कई संस्थानों ने,Indian Sign Language में अपने चैनल शुरू कर दिए हैं, यानि,7-8 साल पहले Sign Language को लेकर जो अभियान देश में प्रारंभ हुआ था, अब उसका लाभ लाखों मेरे दिव्यांग भाई-बहनों को होने लगा है। हरियाणा की रहने वाली पूजा जी तो Indian Sign Language से बहुत खुश हैं। पहले वो अपने बेटे से ही संवाद नहीं कर पाती थीं, लेकिन,2018 में Sign Language की training लेने के बाद, माँ-बेटे दोनों का जीवन आसान हो गया है। पूजा जी के बेटे ने भी Sign Language सीखी और अपने स्कूल में उसने storytelling में Prize जीतकर भी दिखा दिया। इसी तरह, टिंकाजी की छह साल की एक बिटिया है, जो सुन नहीं पाती है।
टिंकाजी ने अपनी बेटी को Sign Language का course कराया था लेकिन उन्हें खुद Sign Language नहीं आती थी, इस वजह से वो अपनी बच्ची से Communicate नहीं कर पाती थी। अब टिंकाजी ने भी sign language की training ली है और दोनों माँ-बेटी अब आपस में खूब बातें किया करती हैं। इन प्रयासों का बहुत बड़ा लाभ केरला की मंजू जी को भी हुआ है।
मंजू जी, जन्म से ही सुन नहीं पाती है, इतना ही नहीं उनके parents के जीवन में भी यही स्थिति रही है। ऐसे में sign language ही पूरे परिवार के लिए संवाद का जरिया बनी है। अब तो मंजू जी खुद ही Sign Language की teacher बनने का भी फैसला ले लिया है।(PM Modi on Chandigarh Airport in Hindi )
Chandigarh Airport old Name
– Chandigarh International Airport