रायपुर: वीर सावरकर को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की तरफ से किए गए दावे को लेकर बहस छिड़ गई है. कांग्रेस समेत कई राजनीतिक पार्टियों ने राजनाथ सिहं के इस दावे को लेकर हमलावर हैं. इस बीच छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि वीर सावरकर ने वर्ष 1925 में जेल से बाहर आने के बाद अंग्रेजों के ‘फूट डालो और राज करो’ के एजेंडे पर काम किया और उन्होंने सबसे पहले ‘दो राष्ट्र’ की बात कही थी.
इसी प्रकार आरएसएस की अपनी कोई क्षमता नहीं है। छत्तीसगढ़ में संघ की कोई औकात नहीं है। जो कुछ है, वह नागपुर से होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन लोगों की दो चीजों मतांतरण और सांप्रदायिकता में मास्टरी है। ये हर छोटी घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश करते हैं, लेकिन ऐसा कतई नहीं होने दिया जाएगा। सीएम बघेल ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के उस दावे को खारिज किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि महात्मा गांधी के कहने पर सावरकर ने अंग्रेजों से माफी मांगी थी।
बघेल ने कहा, लो यह नई बात आ गई। महात्मा गांधी उस समय कहां थे? वर्धा में, ये (सावरकर) कहां थे? सेल्युलर जेल में। दोनों का संपर्क कैसे हो गया? जेल में रहकर ही सावरकर ने एक बार नहीं आधा दर्जन बार दया याचिका लगाई। सावरकर, माफी मांगकर छूटने के बाद पूरी जिंदगी अंग्रेजों के साथ रहे और अंग्रेजों के फूट डालो और राज करो के एजेंडे पर काम करते रहे। 1925 में जेल से बाहर आने के बाद सावरकर ने सबसे पहले दो राष्ट्र की बात की। यह जो पाकिस्तान और हिंदुस्तान की बात है, सावरकर ने 1925 में कही थी। 1937 में मुस्लिम लीग ने ऐसा ही प्रस्ताव पारित किया।
इन दोनों (सावरकर और मुस्लिम लीग) सांप्रदायिक ताकतों ने देश के बंटवारे की पृष्ठभूमि तैयार की थी। रमन ने दिखाया आईना पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने सीएम बघेल के बयान को ओछी मानसिकता बताया। उन्होंने कहा कि बघेल को शायद यह नहीं मालूम कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने संघ को 1962 के गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होने का न्योता दिया था। देश में मतांतरण रोकने और शिक्षा के प्रसार के लिए संघ काम कर रहा है। राष्ट्रभक्त बनना संघ की शाखाओं में सिखाया जाता है। आज भूपेश बघेल की मानसिकता समझ में आ रही है। भगवा झंडे को पैरों से कुचला जा रहा है, जिसे वह छोटी घटना बता रहे हैं।