धर्म : हिंदू धर्म के अनुसार, दिवाली के दूसरे दिन यानी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को चित्रगुप्त भगवान की पूजा की जाती है। इस कारण यह पूजा भाई दूज वाले दिन मनाई जाती हैं। महाराज चित्रगुप्त मनुष्यों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखने वाले भगवान हैं ,उनका उल्लेख पद्य पुराण, स्कंद पुराण, ब्रह्म पुराण, यमसंहिता और याज्ञवल्क्य स्मृति जैसे कई प्राचीन हिंदू ग्रंथों में मिलता है।
भगवान चित्रगुप्त को बुद्धिमत्ता और ज्ञान कार्य से जुड़ा हुआ माना जाता हैं इस वजह से इस दिन कलम, दवात और बहीखातों की भी पूजा होती है। आइये देखें चित्रगुप्त पूजा 2022 की डेट, टाइम और मुहूर्त।

डेट : इस बार चित्रगुप्त भगवान की पूजा दो दिन हो सकती हैं। 26 और 27 अक्टूबर को बन रहे हैं शुभ मुहूर्त !
टाइम : कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि 26 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी और 27 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगी.
चित्रगुप्त पूजा 2022 शुभ मुहूर्त
27 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 42 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक बहुत अच्छा मुहूर्त रहेगा. वहीं दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से लेकर 28 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 30 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा. हिंदू पंचांग के अनुसार 27 अक्टूबर को भद्रा काल नहीं है इसलिए राहुकाल को छोड़कर किसी भी समय पूजा करना शुभ हैं.
चित्रगुप्त पूजा की विधि : विभिन्न मान्यताओं के अनुसार यम द्वितीया यानि चित्रगुप्त पूजा के दिन शुभ मुहूर्त में नए बहीखातों का पूजन किया जाता है साथ ही घर के वाहन, . यह पूजा विशेष रूप से कायस्थ समाज में की जाती है. मान्यता है कि कायस्थ समाज की उत्पत्ति भगवान चित्रगुप्त से हुई है. इस पूजा में एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान चित्रगुप्त की तस्वीर लगाई जाती है.
फिर उन्हें रोली, अक्षत, फल, फूल और मिठाई अर्पित की जाती है.इसके बाद कलम, दवात और बहीखातों की भी पूजा होती है. इस दिन सफेद कागज पर ‘श्री गणेशाय नम:’ , ‘जय श्री राम’, लिखा जाता है और भगवान का आशीर्वाद पाने के लिए कुछ लोग एक पत्र में अपनी ज़रूरत और प्रार्थना भी लिख़ते हैं।
गरुण पुराण में चित्रगुप्त जि को कहा गया हैः “चित्रगुप्त नमस्तुभ्याम वेदाक्सरदत्रे”
(चित्रगुप्त हैं,(स्वर्ग/नरक) पात्रता के दाता)
चित्रगुप्तवंशी कायस्थ मूलतः भारत में रहने वाली एक उच्च कोटि की जाति है जो उत्तर भारत में मुख्यतः निवास करते हैं। यह भारत में रहने वाले कलमकांडी कायस्थ महाजाति का एक हिस्सा है।