दर्दनाक मंजर देख निकल पड़ी चीखीं : सात लोगों की मौत पर सीएम ने भी जताया दुख वहीं पूर्व गृहमंत्री मृतकों के अंतिम संस्कार में हुए शामिल

Datia news दतिया : शहर में हो रही लगातार बारिश के चलते गुरुवार को बड़ा हादसा हो गया है. जहा प्राचीन राजगढ़ महल की बाहरी दीवार ढह गई. किले की बाहरी दीवार ढहने से दो घरों के 9 लोग दब गए थे । जिनमें से 2 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है हालांकि उनकी हालत गंभीर है इसलिए उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है. वहीं सात लोगों के शव मलबे से बाहर निकल लिए गए हैं। करीब सात घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद इन शवों को बाहर निकाला जा सका। इस काम में एसडीआरएफ की टीम सहित दो जेसीबी व एक पोकलेन मशीन की मदद ली गई।

घटना में मृत हुए लोगों के प्रति मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने संवेदना जताते हुए मृतकों के परिवारों को चार-चार लाख की सहायता राशि दिए जाने की घोषणा की है।

वहीं दोपहर में पूर्व गृहमंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा भी दतिया पहुंचे। जहां वह दतिया स्थित सखी मुक्तिधाम में हादसे में मृत लोगों के अंतिम संस्कार में शामिल हुए। डा.मिश्रा ने इस दर्दनाक हादसे पर दुख व्यक्त किया है।

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निकाले गए शवों की शिनाख्त होने के बाद पता चला है कि इस हादसे में एक ही परिवार के 5 लोगो की मौत हो गई है, जिसमें 22 वर्षीय शिवम बंशकार (निरंजन का बड़ा पुत्रा)और 19 वर्षीय सूरज बंशकार (निरंजन का छोटा पुत्रा ), निरंजन वंशकार , ममता (पत्नी निरंजन की), राधा ( निरंजन की बेटी) की मौत हो गई है। वहीं किशन वंशकार और उसकी पत्नी प्रभा वंशकार की भी मलबे में दबने से मौत हुई है। जबकि दो घायलों में मुन्ना वंशकार और उसका बेटा अशोक वंशकार शामिल हैं। मौके पर कलेक्टर संदीप माकिन और एसपी वीरेन्द्र कुमार मिश्रा सहित एसडीआरएफ की टीम भी मौजूद रही।

 

400 साल पुराना है किला : आपको बतादे की यह हादसा सुबह करीब साढ़े 3 बजे का बताया जा रहा है. शहर के जिस राजगढ़ महल की दीवार गिरी है. उसका इतिहास 400 साल पुराना बताया जाता है. जिसका निर्माण सन् 1629 में दतिया के राजा इंद्रजीत ने करवाया था। इसे “शहर पन्हा” के नाम से भी जाना जाता है।

इतिहास की बात करे तो ये बात है उस वक्त की जब दतिया एक छोटी रियासत थी, और पड़ोसी राज्यों से आक्रमण का खतरा बना रहता था। इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से राजगढ़ महल की इस दीवार का निर्माण कराया गया था। आपको बता दे की इस दीवार में चार मुख्य द्वार और सात खिड़कियां थीं।

इस कारण हुआ हादसा : हालांकि, समय के साथ लोगों ने इस ऐतिहासिक और प्राचीन दीवार के नजदीक अतिक्रमण कर लिया था। साथ ही आस पास में कच्चे घरों का निर्माण करा लिया था। इसी का नतीजा है कि आज ये बड़ा हादसा हुआ जिसमें 9 लोगो की जान खतरे में पड़ गई है।

48 घंटे से लगातार हो रही बारिश : मौसम विभाग के अनुसार, मानसून पूरे प्रदेश में सक्रिय हो चुका है जिसका नजारा हमसब को दिख रहा है जहां शहर में मंगलवार की शाम से जारी बारिश लगातार अपना रुख बदलते हुए गुरुवार सुबह तक रुकने का नाम नहीं ले रही है। आपको बता दे की बुधवार रात को सेवढ़ा का छोटे पुल फिर डूब गया। जिसके बाद वहां से आवागमन रोक दिया गया है।

आसपास के क्षेत्र में अलर्ट कराया गया है। ताकि कोई नदी क्षेत्र में न जाएं। वहीं भांडेर के शाहपुर मोंठ रपटा भी डूब जाने के कारण बंद कर दिया गया है।

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