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बचपन में खूब दौड़े-भागे, दोस्तों के साथ जमकर छक्के-चौके मारे, खो-खो कबड्डी भी खेली। रंग-बिरंगे रंगों को देखा, हाथों को रंगा। दुनिया की खूबसूरती को निहारा और जी भर जिया। लेकिन 22 की चौखट पर कदम रखने के आसपास ही अंधेरा छा गया। आँखों की रोशनी चली गई। एक बार को लगा कि बिना आँखों की रोशनी के अंधेर में जीवन कैसे जीएंगे। फिर हौसला दिखाया, आगे बड़े और आज लंदन के एक संस्थान में महत्वपूर्ण दायित्व सफलतापूर्वक निभा रहे हैं। यह कहानी लंदन में रहने वाले दृष्टिबाधित आशीष गोयल की है।
कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) के कर्मवीर नंबर में इंदौर के ज्ञानेंद्र पुरोहित और मोनिका पुरोहित शामिल थे। इंदौर का यह दंपति आनंद सोसायटी के जरिये मूक बधिर बच्चों को शिक्षित कर समाज की बुनियादी सुविधा लाने, परिवार से बिछड़ गए ऐसे बच्चों को उनके परिजन तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं। वास्तव में इस वर्ष कोरोना महामारी के चलते संस्था के पास कोई भी वित्तीय सहायता नहीं थी। संस्था अपने स्तर पर असीमित श्रेणियों का संचालन कर रही है। केबीसी में पुरोहित दंपति ने 25 लाख रुपये जीते। इस राशि का उपयोग संस्था मूक बधिर अनाथ बच्चों के लिए शैक्षिक और वोकेशनल प्रशिक्षण के लिए और नए उपकरण के लिए होगा।
केबीसी में इंदौर के पुरोहित दंपति को देखकर लंदन में नौकरी कर रही दृष्टिबाधित आशीष गोयल ने चार लाख रुपये की सहायता राशि उनके संस्थान के बच्चों के लिए भेजी है। इस राशि से दिव्यांग बच्चों की ऑफ़लाइन कक्षाओं जारी रहेंगी। कर्मवीर चरण के बाद पुरोहित दंपति के साथ ही आशीष गोयल भी चर्चा में आ गए।
आशीष पढ़ाई में अव्वल रहा
वर्ष 2010 में राष्ट्रीय आमंत्रण पाने वाले आशीष गोयल की तरह बड़े होते गए उनकी आंखों की रोशनी कमजोर होती चली गई। 22 की उम्र में पहुंचते ही उनकी आँखों की रोशनी पूरी तरह चली गई। इसके इतर अशीष स्कूल से लेकर कॉलेज व प्रबंधन की पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहे हैं। विशेष बात यह है कि व्हार्टन बिजनेस स्कूल, फिलाडेल्फिया में पढ़ने वाले आशीष एकलौते दृष्टिबाधित छात्र रह रहे हैं।]आशीष कई वर्षों से लंदन के एक संस्थान में महत्वपूर्ण दायित्व सफलतापूर्वक निभा रहे हैं।
इंदौर. बचपन में खूब दौड़े-भागे, दोस्तों के साथ जमकर छक्के-चौके मारे, खो-खो कबड्डी भी खेली। रंग-बिरंगे रंगों को देखा, हाथों को रंगा। दुनिया की खूबसूरती को निहारा और जी भर जिया। लेकिन 22 की चौखट पर कदम रखने के आसपास ही अंधेरा छा गया। आँखों की रोशनी चली गई। एक बार को लगा कि बिना आँखों की रोशनी के अंधेर में जीवन कैसे जीएंगे। फिर हौसला दिखाया, आगे बड़े और आज लंदन के एक संस्थान में महत्वपूर्ण दायित्व सफलतापूर्वक निभा रहे हैं। यह कहानी लंदन में रहने वाले दृष्टिबाधित आशीष गोयल की है।
कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) के कर्मवीर नंबर में इंदौर के ज्ञानेंद्र पुरोहित और मोनिका पुरोहित शामिल थे। इंदौर का यह दंपति आनंद सोसायटी के जरिये मूक बधिर बच्चों को शिक्षित कर समाज की बुनियादी सुविधा लाने, परिवार से बिछड़ गए ऐसे बच्चों को उनके परिजन तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं। वास्तव में इस वर्ष कोरोना महामारी के चलते संस्था के पास कोई भी वित्तीय सहायता नहीं थी। संस्था अपने स्तर पर असीमित श्रेणियों का संचालन कर रही है। केबीसी में पुरोहित दंपति ने 25 लाख रुपये जीते। इस राशि का उपयोग संस्था मूक बधिर अनाथ बच्चों के लिए शैक्षिक और वोकेशनल प्रशिक्षण के लिए और नए उपकरण के लिए होगा।
केबीसी में इंदौर के पुरोहित दंपति को देखकर लंदन में नौकरी कर रही दृष्टिबाधित आशीष गोयल ने चार लाख रुपये की सहायता राशि उनके संस्थान के बच्चों के लिए भेजी है। इस राशि से दिव्यांग बच्चों की ऑफ़लाइन कक्षाओं जारी रहेंगी। कर्मवीर चरण के बाद पुरोहित दंपति के साथ ही आशीष गोयल भी चर्चा में आ गए।
आशीष पढ़ाई में अव्वल रहा
वर्ष 2010 में राष्ट्रीय आमंत्रण पाने वाले आशीष गोयल की तरह बड़े होते गए उनकी आंखों की रोशनी कमजोर होती चली गई। 22 की उम्र में पहुंचते ही उनकी आँखों की रोशनी पूरी तरह चली गई। इसके इतर अशीष स्कूल से लेकर कॉलेज व प्रबंधन की पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहे हैं। विशेष बात यह है कि व्हार्टन बिजनेस स्कूल, फिलाडेल्फिया में पढ़ने वाले आशीष एकलौते दृष्टिबाधित छात्र रह रहे हैं।]आशीष कई वर्षों से लंदन के एक संस्थान में महत्वपूर्ण दायित्व सफलतापूर्वक निभा रहे हैं।