कफ सिरप कांड : परासिया पहुंचे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रभावित परिवारों से की मुलाकात, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश

भोपाल :  छिंदवाड़ा जिले के परासिया में कफ सिरप के सेवन से मासूम बच्चों की हुई असामयिक मृत्यु के मामले में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने संवेदनशील पहल दिखाते हुए अपने सभी कार्यक्रम निरस्त कर सीधे परासिया पहुंचकर प्रभावित परिवारों से मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने परिजनों से भेंट कर गहरा शोक व्यक्त किया और ढांढस बंधाते हुए कहा, “यह सिर्फ आपकी नहीं, मेरी और हम सबकी पीड़ा है। आपके बच्चों का दुख मेरा भी है। सरकार हर कदम पर आपके साथ खड़ी है।”


शोक संतप्त परिवारों से भेंट और सांत्वना : मुख्यमंत्री ने नगर परिषद न्यूटन में खान परिवार तथा ग्राम बेलगांव के डेहरिया परिवार से मुलाकात की। इसके बाद वे परासिया मुख्यालय, ग्राम दीघावानी, उमरेठ, बड़कुही, सेठिया और इकलेहरा पहुंचे। उन्होंने प्रत्येक शोक संतप्त परिवार से व्यक्तिगत रूप से मिलकर उनकी व्यथा सुनी और उन्हें यह भरोसा दिलाया कि न्याय अवश्य मिलेगा।

न्यूटन की पीड़ित माता आफरीन, जिन्होंने अपने 5 वर्षीय पुत्र को खोया, मुख्यमंत्री को देखकर भावुक हो उठीं। उन्होंने कहा कि यदि बाकी बच्चे स्वस्थ हो जाएंगे तो यह हमारे लिए बड़ी राहत होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार पूरी गंभीरता से सभी प्रयास कर रही है ताकि कोई और परिवार इस त्रासदी का शिकार न हो।


दोषियों पर कड़ी कार्रवाई : मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि इस घटना की उच्च स्तरीय जांच जारी है। दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने बताया कि संबंधित तमिलनाडु फैक्ट्री की दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और तीन वरिष्ठ अधिकारियों — शोभित कोष्टा (उप औषधि नियंत्रक, भोपाल), शरद जैन (औषधि निरीक्षक, जबलपुर) और गौरव शर्मा (औषधि निरीक्षक, छिंदवाड़ा) को तत्काल निलंबित किया गया है। साथ ही फूड एंड ड्रग कंट्रोलर को भी स्थानांतरित किया गया है।


संवेदनशील सरकार, सख्त रुख  : मुख्यमंत्री ने कहा कि संबंधित डॉक्टर, मेडिकल स्टोर और दवा स्टॉकिस्ट पर कठोर कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने दोहराया कि “हमारी सरकार संवेदनशील है और हमारा उद्देश्य है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।”

इस मौके पर छिंदवाड़ा सांसद विवेक बंटी साहू, अमरवाड़ा विधायक कमलेश प्रताप शाह और शेषराव यादव भी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि अस्पतालों में भर्ती सभी बच्चों का उपचार सर्वोच्च प्राथमिकता से किया जाए।

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