किसानों के खिलाफ ‘भड़काऊ’ बयानों पर रोक लगे, लोगों में संदेह का माहौल कर रहे पैदा – मायावती

लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों की सभी मांगों के समाधान पर जोर देते हुए भाजपा के नेताओं के कथित भड़काऊ बयानों पर रोक लगाने की मांग की है।

बसपा प्रमुख ने ट्वीट किया है कि लगभग एक वर्ष से आन्दोलनरत किसानों की तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग स्वीकार किए जाने के साथ-साथ उनकी कुछ अन्य जायज मांगों का भी सामयिक समाधान जरूरी है ताकि वे संतुष्ट होकर अपने-अपने घरों को लौटकर अपने कार्यों में फिर से पूरी तरह जुट सकें।

मायावती ने अपने सिलसिलेवार ट्वीट में कहाकि कृषि कानूनों की वापसी की केन्द्र सरकार की खास घोषणा के प्रति किसानों में विश्वास पैदा करने के लिए जरूरी है कि भाजपा के नेताओं की बयानबाजी पर लगाम लगे जो प्रधानमंत्री की घोषणा के बावजूद अपने भड़काऊ बयानों आदि से लोगों में संदेह पैदा करके माहौल को खराब कर रहे हैं।

उन्नाव से भाजपा के सांसद साक्षी महाराज ने पत्रकारों से कहा था कि विधेयक तो बनते-बिगड़ते रहते हैं, फिर वापस आ जाएंगे, दोबारा बन जाएंगे, कोई देर नहीं लगती। उन्होंने कहाकि मैं मोदी जी को धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने बड़ा दिल दिखाया और विधेयक के बजाय राष्‍ट्र को चुना। जिनके इरादे गलत थे, जिन्होंने ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ और ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए, उन्हें करारा जवाब मिला है।

ऐसे बयानों को आधार बनाकर रविवार को समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने भी सत्तारूढ़ भाजपा की मंशा पर सवाल उठाए थे। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने रविवार को कहा कि भाजपा का दिल साफ नहीं है और वह उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों के बाद इस संबंध में फिर से विधेयक लाएगी। कांग्रेस ने भी भाजपा नेताओं के बयान का हवाला देकर कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान को छलावा करार दिया।

कांग्रेस महासचिव और उत्‍तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने रविवार को एक ट्वीट में कहाकि भाजपा नेताओं के ‘चुनाव बाद कृषि कानूनों को वापस लाने’ वाले बयान किसानों की आशंकाओं को सही ठहराते हैं। भाजपा ने भूमि अधिग्रहण कानून के मामले में भी यही छल किया था।

उन्होंने कहाकि किसानों को चुनावों के समय कानून वापस लेने का छलावा नहीं, एमएसपी व फसल का हक लूटने वाले कानूनों का समूल नाश चाहिए।

इस बीच केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों की वापसी समेत विभिन्न मांगों को लेकर एक वर्ष से अधिक समय से आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के आह्वान पर लखनऊ के बंगला बाजार स्थित इको गार्डन में किसानों की महापंचायत संपन्न हुई।

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