कोलकाता : लैपटॉप, मोबाइल फोन और इनके कलपुर्जों के आयात को लेकर किए जा रहे करोड़ों के घोटाले का आयकर विभाग ने खुलासा किया है। एक आयातक और व्यापारी के खिलाफ तलाशी और जब्ती अभियान के बाद यह बड़ी गड़बड़ी पकड़ में आ सकी।
कोलकाता बंदरगाह पर एक कंटेनर की तलाशी के दौरान जांच करने में पता चला कि 64 करोड़ के माल को सिर्फ 3.8 रुपये का बताकर करोड़ों रुपये की हेरफेर की जा रही थी। सीमा शुल्क बचाने के चक्कर में यह हेरफेर कई वर्षों से की जा रही थी।
पिछले 3 वर्षों में ऐसी शेल संस्थाओं द्वारा बंदरगाहों पर घोषित आयातित माल का मूल्य लगभग 20 करोड़ रुपये हैं, जबकि अनुमान के मुताबिक बड़े पैमाने पर अंडर-वैल्यूएशन की जानकारी मिलने के बाद इस अवधि के दौरान आयातित माल का वास्तविक मूल्य 2000 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। जांच पड़ताल के दौरान ली गई तलाशी में 2.75 करोड़ रुपये की बेहिसाबी नकदी को भी जब्त किया गया है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, हरियाणा और पश्चिम बंगाल में फैले नेटवर्क के खिलाफ इस तलाशी अभियान को 10 अक्टूबर से शुरू किया गया था।
तलाशी के दौरान, कई आपत्तिजनक दस्तावेज, डायरी और डिजिटल साक्ष्य मिले हैं, जिससे पता चलता है कि यह समूह बड़े पैमाने पर अंडर-इनवॉइसिंग और उसके माध्यम से आयात किए गए माल की गलत जानकारी देने में संलिप्त है। तलाशी के दौरान संदिग्ध लेनदेन, संपत्तियों में बेहिसाब निवेश, फर्जी ऋण आदि जैसे बड़ी संख्या में साक्ष्य भी एकत्रित किए गए हैं।
इस कथित व्यापार में सीमा शुल्क से बचने के लिए कम मूल्य वाले और आयातित माल के विवरण की गलत जानकारियों के साथ कई शेल संस्थाओं के नाम पर माल का आयात किया गया है। बंदरगाहों पर मंजूरी मिलने पर, ऐसे माल को आउट-ऑफ-बुक नकद लेनदेन के माध्यम से पूरे भारत में वितरित किया गया है।
कोलकाता बंदरगाह पर एक कंटेनर की तलाशी के दौरान यह भी जानकारी मिली कि इस लदान के बिल में माल को मात्र 3.8 लाख रुपये मूल्य के ‘एचडीएमआई केबल’ के रूप में घोषित किया है, जबकि माल की जांच करने पर यह खुलासा हुआ कि लैपटॉप, मोबाइल फोन आदि जैसी उच्च मूल्य की आयातित वस्तुओं की कीमत 64 करोड़ रुपए के करीब है। तलाशी के दौरान मिले और जब्त किए गए सबूतों से पता चलता है कि विदेशी मालवाहकों को ऐसे कम चालान वाले सामानों का भुगतान हवाला चैनलों के माध्यम से किया गया है। लगभग पूरा कारोबार इसी तरह की अवैध कार्यप्रणाली में संलिप्त है।
हालांकि पिछले 3 वर्षों में ऐसी शेल संस्थाओं द्वारा बंदरगाहों पर घोषित आयातित माल का मूल्य लगभग 20 करोड़ रुपए हैं जबकि अनुमान के मुताबिक बड़े पैमाने पर अंडर-वैल्यूएशन की जानकारी मिलने के बाद, इस अवधि के दौरान आयातित माल का वास्तविक मूल्य 2000 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है।
इस प्रकार धोखाधड़ी के माध्यम से इस संपत्ति का उपयोग उच्च मूल्य की अचल संपत्तियों के अधिग्रहण के लिए किया गया है, इसके अलावा फर्जी किराये और असुरक्षित ऋण के रूप में दिखाई गई नकदी की आय को विदेशी बैंक खातों में जमा किया गया है। तलाशी के दौरान 2.75 करोड़ रुपये की बेहिसाबी नकदी को भी जब्त किया गया है। आगे की जांच जारी है।