नगाड़ा बजाक CM भूपेश बघेल ने किया आदिवासी राष्ट्रीय महोत्सव का शुभारंभ : रूस और मंगोलिया की मनमोहक प्रस्तुति के साथ नृत्य उत्सव का हुआ आगाज़ !

रायपुर : रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में राज्योत्सव 2022 के अवसर पर तीसरे राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का रंगारंग आगाज हो गया है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत एवं मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल ने आज सुबह 11.30 बजे आदिवासी परपंरा के अनुरूप नगाड़ा बजाकर नृत्य महोत्सव का शुभारंभ किया। इसके पूर्व उन्होंने छत्तीसगढ़ महतारी के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित किया एवं छत्तीसगढ़ राजकीय गीत अरपा पैरी के धार के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

महोत्सव में उन्होंने आदिवासी महोत्सव की सुंदर स्मृतियों से सुसज्जित कॉफी टेबल बुक का विमोचन भी किया। इस अवसर पर पर्यटन मंत्री  ताम्रध्वज साहू, संस्कृति मंत्री  अमरजीत भगत, वन मंत्री मोहम्मद अकबर, आबकारी मंत्री  कवासी लखमा सहित संसदीय सचिव एवं अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद थे।

मोजांबिक, रूस और मंगोलिया की मनमोहक प्रस्तुतियों के साथ आज से तीसरे राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आगाज हो गया। आज के स्वागत कार्यक्रम में मोजांबिक से आए नर्तक दल ने सबसे पहले प्रस्तुति दी। उन्होंने फसल कटाई के अवसर पर किया जाने वाला डांस फॉर्म प्रस्तुत किया।

राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव

वहीं रूस और मंगोलिया के नर्तक दलों ने फ्युजन डांस फॉर्म प्रस्तुत किया। इसमें वहां की संस्कृति, रीति रिवाज, परंपरा, प्राकृतिक सुंदरता प्रदर्शित होती है। अचीवमेंट इन हंटिंग, हाइटाइट स्ट्रेंथ, इंट्यूशंस ऑफ एनिमल्स एंड लाइफस्टाइल विषयों पर केंद्रित प्रस्तुतियों से मंगोलिया ने समां बांध दिया।

राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव

धमाली’ और कुरूख ने मचाया धमाल !

राज्योत्सव के अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय प्रतिष्ठापूर्ण राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव देश-विदेश से आए हुए आदिवासी लोक नर्तकों से न केवल गुंजायमान हो रहा है, वरन् उनके साथ थिरक भी रहा है। हजारों जोड़ी आंखे इन दृश्यों को न केवल देख रही है, बल्कि इन लोक-लुभावन दृश्यों को देखकर उनका हृदय भी झूम रहा है। लोक नृत्य के कलाकारों के कदम ताल से हजारों दर्शकों के पांव भी थिरकने लगे हैं।

राज्योत्सव के प्रथम दिन कश्मीर के धमाली लोक नृत्य के कलाकारों की प्रस्तुति को देखकर लग रहा था जैसे कश्मीर की खूबसूरत वादियां छत्तीसगढ़ की सरजमीन पर उतर आई हैं। कश्मीर के इस खूबसूरत लोक नृत्य में प्रकृति की आराधना ईश्वर के रूप में की जाती है।

इसके पश्चात असम के कलाकारों ने ‘दोमती के कण’ कुरूख नृत्य की प्रस्तुति दी। इस नृत्य में बैसाख के दिन में असम के युवक-युवतियां नाच-गाकर अपनी खुशियां बांटते हैं और अपने बड़े-बुजुर्गों से आशीर्वाद लेने की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए आज भी अपनी संस्कृति को संरक्षित किए हुए है। इस नृत्य में ‘चेन’ ढोल नुमा वाद्य यंत्र का प्रयोग किया जाता है। साथ ही इस नृत्य में एक नई उम्मीद और विश्वास के साथ उन्हें घरों में प्रवेश दिया जाता है।

राज्योत्सव में आज पहले दिन कश्मीर और असम के लोक नृत्यों ने ऐसा ही शमा बांधा। हमारा छत्तीसगढ़ आज 22 साल के युवा में रूपांतरित हो चुका है। यह हम सभी छत्तीसगढ़वासियों के लिए गर्व की बात है। राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ियों को तीसरे वर्ष भी आदिवासी लोक नृत्य का सौगात दी है।

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