मध्यप्रदेश में शुरू हुआ सात दिवसीय हाथी महोत्सव: हाथियों का श्रृंगार, मनपसंद भोजन और संरक्षण की अनूठी पहल

भोपाल :  मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व और हाथी कैंपों में सात दिवसीय हाथी महोत्सव-2025 की शुरुआत धूमधाम से हो चुकी है। यह आयोजन न केवल हाथियों को विश्राम और देखभाल देने का अवसर है बल्कि आम नागरिकों में संरक्षण और सहअस्तित्व की भावना को बढ़ाने की भी पहल है।


बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में विशेष आयोजन : शहडोल जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 25 से 30 सितम्बर तक हाथी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। रामा हाथी कैंप, ताला में रहने वाले 15 हाथी इस महोत्सव का हिस्सा हैं। इनमें 79 वर्षीय सबसे बुजुर्ग हाथी गौतम और मात्र एक वर्ष की नन्ही गंगा भी शामिल हैं। पहले दिन हाथियों को चरण गंगा नदी में स्नान कराया गया और नीम-आरंडी तेल से मालिश की गई। सजावट के लिए चंदन का लेप किया गया और उन्हें पसंदीदा व्यंजन जैसे गन्ना, केला, अमरूद, नारियल, सेव, मक्का और गुड़ परोसे गए। भोजन के बाद हाथियों को खुले जंगल में छोड़ दिया गया ताकि वे कीचड़ स्नान और जल क्रीड़ा का आनंद ले सकें।


हाथियों और महावतों के लिए विशेष देखभाल : महोत्सव में हाथियों के स्वास्थ्य परीक्षण, दांत-पैरों की देखभाल और डीवार्मिंग की जा रही है। वहीं महावतों और सहायकों को भी स्वास्थ्य जांच, प्रशिक्षण और सम्मान प्रदान किया जा रहा है। यह पहल हाथियों और उनके संरक्षकों दोनों के जीवन की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में उठाया गया कदम है।


संजय टाइगर रिजर्व, सीधी में हाथी रिजुवनेशन कैंप : सीधी जिले के खैरीझील हाथी कैंप में भी हाथी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। विधायक कुंवर सिंह टेकाम ने पूजा-अर्चना कर महोत्सव का शुभारंभ किया। हाथी बापू, भरत, चित्रा और शांभवी यहां के मुख्य आकर्षण हैं। उन्हें केले, पपीते और गन्ने जैसे विशेष फल खिलाए जा रहे हैं। जबलपुर से आए विशेषज्ञ चिकित्सक हाथियों और महावतों दोनों का स्वास्थ्य परीक्षण कर रहे हैं।


संरक्षण और जन-जागरूकता का संदेश : मध्यप्रदेश सरकार का यह प्रयास न केवल हाथियों को पुनर्जीवित करने का माध्यम है बल्कि स्थानीय लोगों और पर्यटकों में वन्यजीव संरक्षण के महत्व को समझाने का अवसर भी है। हाथी महोत्सव आने वाले दिनों में राज्य की पारंपरिक और प्राकृतिक धरोहर के उत्सव का प्रतीक बन रहा है।

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