खटिया से बंधा मिला किसान का शव : फसल की रखवाली के दौरान हुई घटना, हमलावरों ने लाठी डंडे से की हत्या

Datia News : दतिया। पिता जब भैंसों का दूध निकलने सुबह खेत से घर नहीं पहुंचे तो बेटे को शंका हुई। जब उसने खेत पर जाकर देखा तो वहां खटिया पर उनका शव पड़ा देख उसके होश उड़ गए। हमलावरों ने बेरहमी से किसान की हत्या हाथ पैर बांधकर मुंह में कपड़ा ठूंसकर की थी। घटना की खबर मिलते ही स्वजन और गांव वाले दौड़कर खेत पर पहुंचे। जिसके बाद इस वारदात की सूचना पुलिस को दी गई। घटना सेवढ़ा अनुभाग के भगुवापुरा थाना क्षेत्र के ग्राम भैंसई में रोड किनारे स्थित खेत में घटित हुई।

घटना के बाद गांव में दहशत का माहौल है। पुलिस ने मृतक के पुत्र की रिपोर्ट पर छह लोगों के विरुद्ध हत्या का मामला पंजीबद्ध किया है। पुलिस आरोपितों की तलाश कर रही है।पुलिस के मुताबिक 66 वर्षीय किसान ओमप्रकाश पुत्र चमन सिंह राजपूत निवासी भैंसई अपने खेत पर कटी रखी फसल की रखवाली करने के लिए वहां बनी झोपड़ी में सो रहा था। तभी देर रात सोते समय आरोपितों ने उसके मुंह में कपड़ा ठूंस और हाथ और पैर भी बांध दिए। इसके बाद लाठी डंडों से उसकी खटिया से बांधकर हत्या कर दी। घटना बुधवार-गुरुवार रात की बताई जाती है।

सेवढ़ा एसडीओपी अखिलेश पुरी गोस्वामी, थाना प्रभारी सुभाष शर्मा तत्काल मौके पर पहुंचे। जहां पुलिस ने शव को बरामद कर पीएम के लिए भेजा। स्वजन ने पुलिस को घटना का कारण रंजिश बताया है।

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खटिया से बंधा मिला शव : इस मामले में मृतक ओमप्रकाश के पुत्र चंदन ने पुलिस को बताया कि उसके पिता हर रोज सुबह छह बजे तक खेत से वापिस घर लौट आते थे। जिसके बाद वह भैंसों का दूध निकालने आदि कार्य करते थे। लेकिन घटना वाले दिन जब वह छह बजे के बाद तक घर नहीं लौटे तो चिंता हुई। इसके बाद खेत जाकर देखा तो वहां बनी झोपड़ी में उनका रक्त रंजित खटिया से बंधा मृत शरीर पड़ा था।

इस बारे में घर के लोगों को खबर दी गई। साथ ही पुलिस तक सूचना पहुंचाई गई। चंदन की रिपोर्ट पर आरोपित हरविलास, कैलाश, मनीष, दीपक निवासीगण भगुवापुरा एवं मंजुल और चरणसिंह राजपूत निवासीगण पडरी के विरुद्ध हत्या का मामला पंजीबद्ध किया गया है। आरोपितों की तलाश के लिए पुलिस टीम रवाना की गई है।

मृतक के पुत्र के मुताबिक वर्ष 2015 में मृतक ओमप्रकाश की भांजी के साथ आरोपितों के एक खास रिश्तेदार ने दुष्कर्म कर दिया था। इस मामले में उसे पिछले माह सेवढ़ा न्यायालय से दस साल की सजा सुनाई गई है। इस मामले में आरोपित पहले से ही राजीनामा करने के लिए ओमप्रकाश पर दबाब बना रहे थे।

 

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