- नई दिल्ली : “रक्तदान एक नेक काम है और सेवा तथा सहयोग की हमारी समृद्ध संस्कृति और परम्परा को देखते हुए, मैं सभी नागरिकों से आग्रह और अपील करता हूं कि वे देशव्यापी बहुत बड़े स्वैच्छिक रक्तदान अभियान- रक्तदान अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में आगे आएं और रक्तदान करें।
रक्तदान न केवल राष्ट्रीय आवश्यकता को पूरा करता है बल्कि समाज और मानवता के लिए एक महान सेवा भी है। केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने के सफदरजंग अस्पताल में रक्तदान शिविर में रक्तदान करते हुए यह बात कही।
स्वैच्छिक रक्तदान के महत्व पर जोर देते हुए, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “रक्तदान अमृत महोत्सव आजादी का अमृत महोत्सव के बड़े समारोहों का हिस्सा है। इस अभियान का उद्देश्य बिना पारिश्रमिक के नियमित रूप से स्वैच्छिक रक्तदान के बारे में जागरूकता बढ़ाना और यह सुनिश्चित करना है कि रक्त या इसके घटक (संपूर्ण रक्त/पैक की हुई लाल रक्त कोशिकाएं/प्लाज्मा/प्लेटलेट्स) उपलब्ध, सुलभ, किफायती और सुरक्षित हों।”
2021 के आंकड़ों के अनुसार, भारत की वार्षिक आवश्यकता लगभग 1.5 करोड़ यूनिट है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक दो सेकंड में, भारत में किसी को रक्त की आवश्यकता होती है और प्रत्येक तीन व्यक्तियों में से एक व्यक्ति को अपने जीवनकाल में रक्त की आवश्यकता होती है। डॉ.. मांडविया ने कहा,“ तकनीकी प्रगति के बावजूद, रक्त का कोई विकल्प नहीं और 1 यूनिट रक्त तीन लोगों की जान बचा सकता है’।
डॉ. मांडविया ने शिविर में रक्तदान करने वालों से मुलाकात की और रक्तदान के उनके निस्वार्थ कार्य की सराहना की। रक्तदान को लेकर फैले मिथकों को दूर करते हुए, डॉ. मांडविया ने कहा कि “एक व्यक्ति के शरीर में 5-6 लीटर रक्त होता है और वह हर 90 दिन (3 महीने) में रक्तदान कर सकता है।”
शरीर में रक्त बहुत जल्दी बन जाता है; रक्त प्लाज्मा की मात्रा 24 – 48 घंटों के भीतर, लाल रक्त कोशिकाएं लगभग 3 सप्ताह में और प्लेटलेट्स तथा श्वेत रक्त कोशिकाएं मिनटों में बन जाती हैं।
राष्ट्रव्यापी अभियान को केन्द्रीकृत ब्लड बैंक प्रबंधन सूचना प्रणाली, ई-रक्त कोष पोर्टल से सहायता प्राप्त है, जो रक्त दाताओं के राष्ट्रीय भंडार के रूप में कार्य करेगा। यह रक्त दाताओं का एक मजबूत रिकॉर्ड सुनिश्चित करेगा और जरूरत पड़ने पर रक्त की उपलब्धता में तेजी लाएगा।
डॉ. मांडविया ने भारत में स्वास्थ्य देखभाल की दिशा में सफदरजंग अस्पताल के योगदान को प्रदर्शित करते हुए “फुटप्रिंट्स ऑन द सैंड्स ऑफ टाइम” पुस्तक का भी विमोचन किया।